बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को कैसे मिली सिद्धि? | पढ़ें टेन न्यूज़ की विशेष रिपोर्ट

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (26 जून 2023): बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों देश में चर्चा का विषय बने हुए हैं। बागेश्वर धाम सरकार के नाम से मशहूर कथा वाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आज सबकी जुबान पर हैं। बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कई बार अपनी कथाओं को लेकर तो कई बार बयानों को लेकर भी मीडिया की सुर्खियों में रहते हैं। बाबा स्वयं को हनुमान का भक्त बताते हैं और अपनी दिव्य शक्ति से दरबार में आने वाले लोगों के मन की बातों को और उनकी समस्याओं को जान लेने का दावा करते हैं। बात यहीं खत्म नहीं होती बल्कि बाबा अपने द्वारा दिए गए मंत्रों के उच्चारण से एवं पूजा विधि से उन तमाम दुखों, तकलीफों और समस्याओं के समाधान का दावा भी करते हैं। बाबा की ख्वाति केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी है। तो आइए इस स्टोरी में जानते हैं कि बाबा के पास कौन सी सिद्धि है और उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कौन हैं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के गड़ा पंज गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता राम कृपाल गर्ग और माता का नाम सरोज गर्ग है। उनके घर में उनकी माताजी, उनकी एक बहन और एक छोटा भाई भी है। महाराज धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने अपना शुरूआती जीवन गांव में बिताया। उनका परिवार काफी गरीब था। जिसके कारण उन्हें मूलभूत सुख-सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ा। धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को बचपन से ही आध्यात्मिक चीजें से काफी लगाव रहा है। जिसकी शिक्षा उन्होंने अपने दादाजी से प्राप्त की।

धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के एक स्कूल से प्राप्त की। लेकिन बड़ी कक्षा में आने के बाद उन्हें गांव से 5 किलोमीटर दूर एक सरकारी स्कूल में पढ़ने जाना पड़ा। इसके बाद उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया और वहां से बीए की पढ़ाई कंप्लीट की। लेकिन पढ़ाई में ज्यादा मन ना लगने के कारण उन्होंने अपने दादाजी से महाभारत, रामायण, भगवत कथा और पुराण महाकाव्य की शिक्षा ली और दरबार लगाना शुरू किया। जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने हनुमान जी की साधना करनी शुरू कर दी और कम उम्र में ही कथित रूप से सिद्धि प्राप्त कर ली।

कैसे शुरू हुआ दरबार लगाने की परंपरा

पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जिस परिवार में जन्म थे। वो बागेश्वर धाम को काफी माना करते थे। उनके दादाजी बागेश्वर धाम में ही रहते थे। यहीं पर उनके दादाजी , गुरू सन्यासी बाबा की समाधि भी मौजूद है। आपको बता दें कि, सन्यासी बाबा भी इनके वंश के थे। जिन्होंने करीबन 320 साल पहले समाधि ली थी। धीरेन्द्र के दादाजी बहुत लंबे समय से बागेश्वर धाम में दरबार लगाया करते थे। जिसको देखकर उनके अंदर भी इसकी आस्था जागी और उन्होंने दादाजी के दरबार में अर्जी लगाई। उन्होंने परिवार की हालत देखकर उनसे इससे छुटकारा मांगा। जिसके बाद उनके दादा जी ने उन्हें अपना शिष्य बना लिया। वहीं से उन्होंने इन सिद्धियों की शिक्षा प्राप्त की और बाग्शेवर धाम की सेवा करनी शुरू कर दी।

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का कहना है की उन्हें उनके दादा जी श्री भगवान् दास शास्त्री का आशीर्वाद और बाला जी की कृपा से एक ऐसी शक्ति प्राप्त है जिससे वह लोगो की मन की बात को जान लेते हैं। वहीं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को मानने वालों का मानना ​​है कि वह किसी के मन की बात जान लेते हैं और इसीलिए उनके दरबार में देश के कोने-कोने से लाखो की संख्या में लोग आते हैं।

आइए, जानते हैं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कैसे जान लेते हैं मन की बात?

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्णा शास्त्री की शक्तियों और उपलब्धियों के बारे में आपने भी सोचा होगा। क्या आपको पता है कि उनकी शक्तियां कहां से आती हैं? और जिसके कारण जो भी उनके दरबार में जाता है, वह उसके बारे में जान जाते है, और उसे दी जाने वाली पर्ची पर उस व्यक्ति की समस्या और उसके बारे में सब कुछ लिख देते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने स्वयं इस बात को स्वीकार किया है कि वे भीतर से महसूस करते हैं। अर्थात् भगवान बागेश्वर बालाजी, उनके दादाजी और हनुमान जी की कृपा से वे किसी भी व्यक्ति के मन की बात जान लेते हैं।

बता दें कि बाबा बागेश्वर धाम एक कथा वाचक के रूप में इन दिनों देश के सबसे अधिक चर्चित और व्यस्ततम कथा वाचक हैं। इनके कथा पंडालों में 10 लाख से भी अधिक भक्त इनको सुनने आते हैं। भक्तों की मान्यता है कि बाबा के पास दिव्य शक्तियां हैं, जिससे वो सबके मन की बात जान लेते हैं। वहीं पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कई बार अपने बयानों को लेकर भी सुर्खियों में रहते हैं। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने कथा मंचों से भारत को ” हिंदू राष्ट्र” बनाने की प्रखरता पूर्वक वकालत करते हैं ।।

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