टेन न्यूज़ नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा (15/05/2023): हाल ही में आयोजित इस राउंड टेबल में शिक्षाविद, स्टार्टअप, बड़े उद्यमी, प्रशासक तथा मीडिया से जुड़े समाज के प्रबुद्ध लोगों ने भाग लिया। विषय था – उद्यमिता को बढ़ावा कैसे दिया जाय और अच्छे नौकरीपेशा (एम्प्लाइज) कैसे तैयार हों।
स्टार्टअप्स ने कहा वे छात्रों को ट्रेनिंग और नौकरी, दोनों में मदद देना चाहते हैं, परन्तु लोग नहीं मिलते।
सतना (मध्य प्रदेश) से यूनिवर्सिटी के उपकुलपति चाहते थे उनके छात्रों को नोयडा में इंटर्नशिप और जॉब मिलें, लेकिन माइक्रो और स्माल उद्यम तो उनके आसपास भी होंगे। प्रत्येक यूनिवर्सिटी या कॉलेज को अपने आसपास के अति छोटे (सूक्ष्म) उद्यमों को तलाश कर न केवल कुछ सीखना बल्कि उनकी समस्यायों को हल करना चाहिए।
उद्यम और शिक्षण संस्थान में सहयोग (इंडस्ट्री-एकेडेमिया कोलैबोरेशन) की बात हुई, लेकिन MSME को कैसे प्रेरित किया जाय, जिसमें उद्योग को भी लाभ मिले और छात्रों की एम्प्लॉयबिलिटी में सुधार हो। सिलेबस में बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया गया, लेकिन हम AICTE की लर्निंग बियॉन्ड सिलेबस का फायदा नहीं उठाते। करोड़ों के पैकेज छात्रों को आकर्षित करते हैं, परन्तु यह कितनों को नसीब हो सकता है ? क्यों न छात्रों का ध्यान किसी समस्या का समाधान तलाशने में हो, जिसमें सीखने के साथ उद्यमिता की भी सम्भावना हो। सीबीएसई ने इस वर्ष मेरिट लिस्ट घोषित नहीं की, क्योंकि रैंक की सोच छात्रों में बढ़ते तनाव का कारण बन रहा है। स्मार्ट सिटी की बात हो तो जरुरी नहीं हमारे उपकरण ही स्मार्ट हों, नागरिकों की सोच में भी बदलाव अपेक्षित है।
गौतमबुद्ध नगर विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रोफेसर सिन्हा का विचार था कि क्यों न हम नोयडा को एक नॉलेज हब (ज्ञान संकुल) के रूप में विकसित करने का विचार करें। नगर में रहने वाले अवकाश प्राप्त प्रशासनिक व सैन्य अधिकारियों की बहुत बड़ी संख्या है, इसके साथ ही उद्योग और शिक्षण संस्थानों की उपस्थिति से इस लक्ष्य को एक नई दिशा मिल सकती है।
कार्यक्रम का समापन श्री देवदत्त शर्मा ने किया जो रुड़की में सिविल इंजीनियरिंग के छात्र होने के साथ वहाँ से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में M Tech हैं तथा IAS होने के कारण उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ प्रशासनिक पदों पर रह चुके हैं, जिनमें ग्रेटर नोयडा अथॉरिटी की 1991 में स्थापना के समय उन्हें तीन वर्ष तक यहाँ योगदान का अवसर मिला।
IITR एलुमनी के अध्यक्ष आनन्द प्रकाश चाहते हैं इस प्रारम्भिक गोष्ठी को स्थायी प्रोजेक्ट का रूप देकर इन विषयों पर नियमित परिचर्चा से कुछ ठोस उपलब्धि प्राप्त करने का प्रयास किया जाय।