ग्रेटर नोएडा। किसानों को चार व छह फीसदी आबादी भूखंड आवंटित करने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी की पहल पर अहम निर्णय लिया गया है। अब भू-अर्जन के अवार्ड की तिथि को वरीयता देते हुए किसानों की सूची तय की जाएगी। अगर अवार्ड की तिथि एक समान है तो किसानों के आवेदन के आधार पर भूलेख विभाग से प्राप्त होने वाली सूची को वरीयता दी जाएगी। अब तक किसानों के नाम के अल्फाबेट के आधार पर प्लॉट दिए जाते थे।
दरअसल, किसानों के नाम के अल्फाबेट के आधार पर भूखंड दिए जाने से कई बार इस तरह की समस्या सामने आ जाती थी, कि जिन किसानों की जमीन पहले ली गई है, उनको छह फीसदी आबादी का भूखंड बाद में मिलता था और जिन किसानों की जमीन बाद में ली गई है, उनको भूखंड पहले मिल जाता था। मसलन, जिन किसानों का नाम ए अल्फाबेट से शुरू होता है, उनको चार व छह फीसदी आबादी भूखंड पहले मिल जाता था, चाहे उस किसान की जमीन बाद में ली गई हो। इसी तरह जिन किसानों का नाम पी अल्फाबेट से शुरू होता है, उनको भूखंड बाद में ही मिलता है, भले ही उस किसान की जमीन पहले ली गई है। इससे विवाद की स्थिति उत्पन्न होती थी। किसानों ने इस समस्या को सुलझाने के लिए सीईओ रितु माहेश्वरी के समक्ष भी मांग रखी थी। सीईओ की पहल पर विगत बोर्ड बैठक में भू-अर्जन के अवार्ड की तिथि के आधार पर आबादी भूखंड दिए जाने का निर्णय लिया गया। इस आशय का कार्यालय आदेश जारी कर तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ अमनदीप डुली ने बताया कि ग्रामवार भू अर्जन के अवार्ड की तिथि (सबसे पुराने को वरीयता देते हुए) को वरीयता देते हुए चार व छह फीसदी आबादी भूखंडों देने के लिए किसानों की सूची तैयार की जाएगी। एक समान तिथि होने पर भूलेख विभाग में किसान के आवेदन पत्र के आधार पर तैयार सूची को वरीयता दी जाएगी। इसी प्रक्रिया के तहत भूखंडों का आवंटन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि किसानों की जमीन के हिसाब से कम से कम 40 वर्ग मीटर और अधिकतम 500 वर्ग मीटर तक के भूखंड देने का प्रावधान है। इसके चलते भूखंडों के आकार के आधार पर छह श्रेणी बना दी गई है। ये श्रेणी 40 से 60, 61 से 120, 121 से 200, 201 से 300, 301 से 400 और 401 से 500 वर्ग मीटर के भूखंड की है। अमनदीप डुली ने बताया कि किसान जितना एरिया पाने का हकदार है, उतने एरिया का भूखंड नियोजित किया जाएगा। मसलन अगर किसी किसान को 260 वर्ग मीटर भूखंड मिलना है तो उसके लिए 200 वर्ग मीटर का एक भूखंड और 60 मीटर का दूसरा भूखंड नियोजित किया जाएगा।
एसीईओ ने बताया कि पात्र किसान को सबसे पहले उसी के गांव में भूखंड दिया जाएगा। वहां उपलब्ध न होने पर आसपास के तीन किलोमीटर की परिधि में स्थित गांव में भूखंड नियोजित किए जाएंगे। हालांकि पहले इस गांव के मूल काश्तकार को भूखंड दिए जाने के बाद दूसरे गांव के किसान के भूखंड नियोजित किए जाएंगे। इतना ही नहीं, दूसरे गांव के काश्तकार को भूखंड दिए जाने से पूर्व इस पर सीईओ का अप्रूवल भी लेना होगा। इसके अलावा अगर तीन किलोमीटर की परिधि में भी भूखंड उपलब्ध नहीं हैं तो सीईओ के समक्ष अलग से प्रस्ताव रखा जाएगा। किसानों के एक समान भूखंड होने पर ड्रा के जरिए आवंटित किए जाएंगे, जबकि यूनिक आकार के भूखंड सीधे आवंटित किए जाएंगे।
सीईओ रितु माहेश्वरी का कहना है कि किसानों की मांग पर प्राधिकरण के इस फैसले से कई पुराने मसले जल्द सुलझने की उम्मीद है।