अंतरराष्ट्रीय शहर बनाने का दावा केवल हवा- हवाई | घंटो जाम से परेशान हैं लोग

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (05/02/2023): ग्रेटर नोएडा शहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर का शहर बनाने का दावा किया जाता है, लेकिन शहर की जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां करती है। ग्रेटर नोएडा के कासना-जीआईएमएस जीबीयू रोड पर बसे राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( GIMS ) और गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी के समीप कासना-जीआईएमएस रोड पर खड़ी कार प्रतिदिन घंटो ट्रैफिक जाम का कारण बनती है। दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण एवं सड़क के दोनों तरफ पार्किंग के कारण यात्रियों, विद्यार्थियों और मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

बता दें कि यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की देन जिम्स अस्पताल ( पूर्व नाम कांशीराम अस्पताल) और गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी को ग्रेटर नोएडा में बसाने का उद्देश्य था कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सुलभ और सस्ता इलाज अपने शहर में आसानी से उपलब्ध हो और साथ ही उच्च कोटि की शिक्षा के लिए छात्र-छात्राओं को शहर से बाहर ना जाना पड़े इसी लक्ष्य के साथ इन संस्थानों की स्थापना की गई थी।

सवाल यह है कि जहां एकतरफ ग्रेटर नोएडा शहर के वासियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का सौंदर्यीकरण और आधुनिक सुविधा प्रदान करने का दावा किया जाता है, तो फिर ग्रेटर नोएडा के इस लचर ट्रैफिक व्यवस्था का जिम्मेदार कौन है?

दूसरा सवाल यह है कि ग्रेटर नोएडा का प्रसिद्ध GIMS अस्पताल जहां केवल शहरभर के लोग ही नहीं बल्कि आसपास के भी कई जिलों के लोग अपना इलाज कराने आते हैं। ऐसे में यदि घंटो जाम में फंसे होने के कारण यदि उनके साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन है?

बता दें कि GIMS अस्पताल और गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में सैकड़ों मरीज, छात्र-छात्राएं और अन्य लोग प्रतिदिन आवागमन करते हैं। वहां के ट्रैफिक व्यवस्था के लचर हालात शासन, प्रशासन और प्राधिकरण पर एक बड़ा सवालिया निशान लगाता है।।

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