टेन न्यूज नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा (7 सितम्बर 2022): गौतम बुद्ध नगर जिले में स्थित गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के मुख्य शिक्षण संस्थानों में शुमार है। विश्वविद्यालय की स्थापना तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने 2002 कि और 2008 में इसका पहला शैक्षणिक सत्रारंभ भी किया । इस विश्वविद्यालय को उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया जाता है, पर कई राजनितिक एवं गैर राजनितिक कारणों के चलते यह विश्वविद्यालय कभी भी उस ऊंचाई पर नहीं पहुंच पाया जिसकी कल्पना की गयी थी।
दरसल 511 एकड़ में फैले इस विश्विद्यालय का नाम उत्तर प्रदेश के राजकीय विश्विद्यालयों की सूची में शामिल नहीं है। इस वजह से विश्विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को प्रदेश सरकार द्वारा जारी कई प्रकार के योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है, छात्र टैबलेट योजना, लैपटॉप योजना समेत कई अन्य योजनाओं से वंचित हैं।
इस बाबत टेन न्यूज की टीम ने गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय के आईटी विभाग में कार्यरत प्रोफ़ेसर नीरज कौशिक से बात की तो उन्होंने कहा कि “गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय का नाम राज्यस्तरीय विश्विद्यालय की सूची में ना होने के कारण यहां अध्ययन करने वाले छात्रों को राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले किसी भी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। छात्र टैबलेट योजना, लैपटॉप योजना सहित कई अन्य योजनाओं से बच्चे वंचित रह जाते हैं।”
प्रोफ़ेसर नीरज कौशिक ने आगे कहा कि “गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ हैं, उन्हें अविलंब इस पर विचार कर इसे राज्यस्तरीय विश्विद्यालय की सूची में शामिल कराना चाहिए।”
इस पूरे मामले पर बातचीत करने के लिए टेन न्यूज की टीम ने ज़ेवर विधायक धीरेंद्र सिंह एवं विश्विद्यालय के कुलसचिव (पंजीयक) विश्वास त्रिपाठी से संपर्क साधने का प्रयास किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल पाया।।