मेरे कर्मभूमि क्षेत्र में अगर शिक्षा के क्षेत्र में किसी ने श्रेष्ठ नाम बनाया है तो वो है गलगोटियाज यूनिवर्सिटी: पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं लोकसभा सांसद डॉ महेश शर्मा

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (23 जुलाई 2022): गलगोटियाज विश्विद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह के अवसर मुख्य अतिथि के रूप में सूबे के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में गौतमबुद्ध नगर से लोकसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ महेश शर्मा सहित कई अन्य महनीय गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।

 

इस अवसर पर गौतमबुद्ध नगर सांसद डॉ महेश शर्मा ने मंच से सभी का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि “छात्र जीवन में दीक्षांत समारोह का एक अलग महत्व होता है, और आज उस महत्व की गर्मी और उसकी खुशी आपके चेहरे पर झलक रही है। भारत का भविष्य जिस कार्यशाला में गढ़ा गया उस शिल्पी आपके अपने गलगोटियाज यूनिवर्सिटी के संस्थापक भाई सुनील गलगोटिया को बधाई देता हूँ।”

 

उन्होंने आगे कहा कि ” मेरी इस कर्मभूमि की माटी गौतमबुद्ध नगर में अगर किसी ने शिक्षा के क्षेत्र में पहचान बनाई तो वह गलगोटिया यूनिवर्सिटी की थी। सिफारिश आती थी कि सुनील जी को फोन कर दो, और मैं उनके उस सोच को नमन करता हूँ, बधाई भी देता हूँ और धन्यवाद भी करता है। और उनके इस लिगेसी को बहुत संजीदगी से गर्व और गौरव के साथ आगे बढ़ा रहे हैं भाई ध्रुव गलगोटिया जी।”

अपने वक्तव्यों में डॉ महेश शर्मा ने दो पंक्ति को जोड़ते हुए कहा कि ” विरासत में हमें क्या मिला ये महत्वपूर्ण नहीं, लेकिन वसीहत में हमने क्या छोड़ा ये महत्वपूर्ण है।” और उसको संजीदगी से निभा रहे हैं प्रिय ध्रुव मैं उन्हें भी बधाई देता हूँ।”

 

 

आगे पूर्व मंत्री डॉ महेश शर्मा ने सूबे के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के विषय में कहा कि ‘प्रेरक चरित्र का प्रेरणा का स्त्रोत हो सकता है’ “मैं भी एक चिकित्सक हूँ, तो मुझे बेहद करीब से जानने का मौका मिला है। उन्होंने एक संस्मरण को याद करते हुए कहा एकदिन हम गाड़ी में बैठे थे , तो अचानक ये किसी से बात करने लगे पूछा तो पता चला कि गोरखपुर के एक सरकारी अस्पताल में किसी मरीज से बात कर रहे थे। ऐसे नेता का मैं हार्दिक स्वागत करता हूँ।”

अपने वक्तव्यों के आखिरी में उन्होंने ” विश्विद्यालय के कुलपति, अलग- अलग देशों के प्रतिनिधि, सभी प्रॉफेसर्स एवं अतिथियों और छात्र- छात्राओं को हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया। और बच्चों को सन्देश दिया कि शिक्षक जिन्होंने आपको बनाया गया है, ईश्वर और आपके माता-पिता के बाद यदि किसीका स्थान है तो वह आपके शिक्षकों का है। उन्हें स्वीकार करें और उनका सम्मान करें।।”

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