ग्रेटर नोएडा, 01 जून, 2022 -ं लखनऊ में तीन जून को आयोजित ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी 3.0 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी युवाओं के स्टार्टअप से रूबरू होंगे। प्रदेश के 12 स्टार्टअप को इसके लिए चुना गया है।
इसमें गौतमबुद्ध नगर के जीएल बजाज कालेज की पूर्व छात्रा काजल श्रीवास्तव का स्टार्टअप नाड़ी पल्स भी शामिल है। काजल न सिर्फ अपने स्टार्टअप की कहानी प्रधानमंत्री को सुनाऐगी बल्की ऊनकी इच्छा नाड़ी पल्स डिवाइस को प्रधानमंत्री पर आजमाने की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी युवाओं के नवाचार को स्टार्टअप के जरिये बढ़ावा दे रहे हैं। विभिन्न क्षेत्र में नए-ंनए स्टार्टअप प्रकाश में आ रहे हैं। नाड़ी पल्स स्टार्टअप को सामने लाने वाली काजल ने जीएल बजाज़ कालेज से ईसी ब्रांच से इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की है। इंजीनियरिंग की पड़े करने के दौरान ही उन्होंने अपने स्टार्टअप पर काम करना शुरू कर दिया था।
इस अवसर पर काॅलेज के वाईस चेयरमैन पंकज अग्रवाल ने काजल को बधाई दी। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि हाल ही में आयुष मंत्रालय के द्वारा आयोजित आयुष स्टार्टअप चैलेंज प्रतियोगिता में काजल ने पहला पुरस्कार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्राप्त किया था। काजल ने बताया कि आयुर्वेद पद्धति में वैद्य मरीज की नाड़ी से बीमारी का पता लगाकर उपचार करते हैं। स्टार्टअप इसी पर आधारित है। स्टार्टअप पर वह पिछले कई वर्षो से काम कर रही थीं। प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान वैद्य, चिकित्सक व अन्य लोगों से भी संपर्क किया गया जिसके बाद आयुर्वेद पद्धति से बीमारी का पता लगाने वाला स्टार्टअप नाड़ी पल्स तैयार किया गया।
काजल ने बताया कि आयुवेंद के कुछ डाक्टरों को उपकरण उपयोग के लिए दिया गया है। डाक्टरों ने बताया है कि यह काफी उपयोगी है। लेकिन अभी यह बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। उपकरण की कीमत लगभग 15 हजार रुपये है । उन्होंने बताया कि ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में आने के लिए सरकार की तरफ से आमंत्रण आ चुका है। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री को स्टार्टअप की पूरी कहानी बतानी होगी। कम शब्दों में विस्तृत जानकारी कैसे दी जाए इसकी तैयारी की जा रही हैं।
नाड़ी पल्स ऐसे करता है काम
काजल ने बताया आयुर्वेद में बीमारी की पहचान नाड़ी के जरिये वात, पित्त व कफ का संतुलन जानकर की जाती है। नाड़ी पल्स भी इसी परं आधारित है। डिवाइस के तीन सेंसर शरीर में वात, पित्त व कफ की स्थिति की जाँंच करते हैं। मरीज की प्रकृति व मौजूदा समय में इन तीनों के असंतुलन की तुलना कर ग्राफ के रूप में दर्शाते हैं। इसके आधार पर चिकित्सक बीमारी को पहचान कर उपचार शुरू करते हैं।