बौद्ध धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है बुद्ध पूर्णिमा या वेसाक दिवस हर साल मई के महीने में पूर्णिमा की रात को आता है, जब दुनिया भर के बौद्ध लोग बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति एवं मृत्यु मनाते हैं। बौध धर्म में ऐसी मान्यता हैं कि बुद्ध की जीवन में ये तीनों घटनाएँ वैशाख पूर्णिमा के दिन ही घटित हुई थी और यही वजह है की बौध अनुयायी इसे पर्व बड़े धूम धाम से मनाते हैं।
यह मानव जाति के लिए पवित्र दिनों में सबसे पवित्र दिन है, खासकर बौद्धों के लिए। बुद्ध पूर्णिमा बहुत प्राचीन समय से मनाया जाने लगा था, जो आज भी प्रचलन में है खाशतौर से दक्षिणी पूर्व एशिया में।
इस वर्ष, विश्व-शान्ति एवं विश्व-बंधुत्व के साथ – साथ कोविड संक्रमण से बचाव की प्रार्थना के साथ एक शान्ति यात्रा महामाया सरोवर से अंतरराष्ट्रीय छात्रावास तक निकाली गयी जिसमें छात्रों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों का हुजूम शामिल हुआ।
इस अवसर के मुख्य अतिथि प्रो आरके सिन्हा, कुलपति कहा कि इस दिवस का महत्व बुद्ध और मानव जाति के लिए उनके सार्वभौमिक शांति संदेश के साथ है। यह दिवस का उत्सव बुद्ध की प्रबुद्धता को कैसे प्राप्त किया, इसकी कहानी को याद करने का एक मौका है और यह दर्शाता है कि अलग-अलग बौद्धों के लिए आत्मज्ञान की ओर बढ़ने का क्या मतलब हो सकता है। त्योहार बहुत रंग और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
इस उत्सव में भगवान बुद्ध के बालरूप पूजा-अर्चना ‘बुद्ध की बाल रूपी प्रतिमा को स्नान’ करके किया जाता है। पानी बुद्ध के कंधों पर डाला जाता है और लालच, घृणा और अज्ञानता से मन को शुद्ध करने के लिए एक अनुस्मारक के रूप में यह सांकेतिक प्रक्रिया होती है।
इस वर्ष, विश्व-शान्ति एवं विश्व-बंधुत्व के साथ – साथ कोविड संक्रमण से बचाव की प्रार्थना के साथ एक शान्ति यात्रा महामाया सरोवर से अंतरराष्ट्रीय छात्रावास तक निकाली गयी जिसमें छात्रों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों का हुजूम शामिल हुआ।
कुलसचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी ने कहा कि यह त्योहार इतना महत्वपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र ने बौद्ध धर्म के इस पवित्र त्योहार को मनाने के लिए इसे गतिविधि के रूप में अपनाया है। जैसा कि बौद्ध धर्म दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक है, बौद्ध शिक्षाओं ने ढाई सहस्राब्दी से योगदान दिया है, और मानवता की आध्यात्मिक विकाश में आने वाले वर्षों में भी उपयोगी बनी रहेगी।
अधिष्ठाता शैक्षणिक प्रो मलकानिया ने कार्यक्रम सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया भर के बौद्धों के लिए यह एक विशेष पूर्णिमा का दिन है और हम सभी को बुद्ध की शिक्षाओं को समझना चाहिए और उनका अभ्यास करना चाहिए।
अधिष्ठाता बौध अध्ययन डॉ नीति राणा ने कहा बुद्ध इस धरती पर पैदा हुए सबसे महान व्यक्ति हुए और उन्होंने एक-दूसरे का समर्थन करने वाले समाज में शांति और सद्भाव से कैसे रहें इससे हमें परिचित कराया।
बौध अध्ययन के छात्रों कर वीयट्नाम के छात्रों ने इसका आयोजन किया उनका मानना है बौद्ध धर्म जीवन जीने का एक तरीक़ा है और हम सभी को इसे अपने दैनिक जीवन में व्यवहार में लाने में सक्षम होना चाहिए।
निदेशक विदेशी सम्बंध डॉ अरविन्द कुमार सिंह जिन्होंने इस उत्सव के समन्वयक के रूप में आयोजन किया। उनका कहना कि बुद्ध द्वारा दी गयी शिक्षा आज के आधुनिक परिवेश में भी उतनी ही लाभदायक है जिनती कि बुद्ध के काल में थी।
आयोजन समिति के सदस्य भिक्षुणी मिन्ह फूँग एवं तुआन त्राण ने कहा कि कोविड संक्रमण और लाक्डाउन की वजह से इस वर्ष दो वर्षों के अंतराल के बाद विश्वविद्यालय में बुद्ध पूर्णिमा को मनाया गया। वैसे यह विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों द्वारा मनाया जाने वाला नियमित कार्यक्रम है जो हर वर्ष मनाया जाता रहा है।