गौतम बुद्धा यूनिवर्सिटी में विभिन्न कार्यक्रमों के पाठ्यक्रमों की हुयी समीक्षा

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता सेल के द्वारा विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के विभागों में चल रहे कार्यक्रमों के पाठ्यक्रमों पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया।

इस वेबिनार में विश्वविद्यालय में चल रहे लगभग सभी पाठ्यक्रमों पर चर्चा की गयी। सभी पर गहन विचार दिए गए एवं उस पर मंथन भी किया गया। वेबिनार में मुख्यतः इस बात बार ध्यान दिया गया की क्या विश्वविद्यालय में चल रहे कार्यक्रम आज की बदली हुई परिदृश्य के अनुसार है और अगर है तो किस प्रकार है, इसका क्या उद्देश्य है और हम क्या उस उद्देश्य को हासिल कर रहे हैं और साथ ही छात्रों से हम क्या अपेक्षा करते हैं।

कार्यक्रम के प्रथम वक्ता प्रो एन पी मलकानिया ने ब्लूम का वर्गीकरण (ब्लूम की टैक्सॉनमी) और उसके तीन स्तरों का एक समूह है जो कि श्रेणीबद्ध है तथा इसका उपयोग शैक्षिक शिक्षण उद्देश्यों को जटिलता और विशिष्टता के स्तरों में वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है से लोगों को अवगत कराया।

इसी क्रम में दूसरे वक्ता डॉ रश्मि मिश्रा ने इस वर्गीकरण में छात्रों द्वारा उसके उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए दिए गए अधिगम के मुख्य तीन पक्ष पर विस्तार से चर्चा की जैसे संज्ञानात्मक पक्ष- दिमाग से संबंधित, भावात्मक या संवेगात्मक पक्ष- भावनाओं से संबंधित और गत्यात्मक पक्ष या क्रियात्मक पक्ष- शारीरिक कार्यकलापों से संबंधित।

प्रो संजय शर्मा, निदेशक, आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन सेल ने अपने अध्यक्षीय व्यक्तव्य में ज्ञान तथा बौद्धिक कौशलों का विकास शामिल करने पर विशेष ज़ोर दिया और इसमें विशेष तथ्यों का पुनर्स्मरण या पहचान, प्रक्रियागत स्वरूप एवं परिकल्पनाएं शामिल करने को कहा जो बौद्धिक क्षमताओं तथा कौशलों के विकास में मदद करती हैं। कुल छः मुख्य श्रेणियां हैं, जो सरलतम से आरम्भ होकर सबसे जटिल तक के क्रम में नीचे सूचीबद्ध हैं।

शिक्षा में, सीखने के उद्देश्य संक्षिप्त विवरण होते हैं जो बताते हैं कि स्कूल वर्ष, पाठ्यक्रम, इकाई, पाठ, परियोजना या कक्षा अवधि के अंत तक छात्रों से क्या सीखने की उम्मीद की जाएगी।

प्रो पीके यादव, डीन रिसर्च एवं प्लानिंग, ने कहा कि कई मामलों में, सीखने के उद्देश्य अंतरिम शैक्षणिक लक्ष्य होते हैं जो शिक्षक उन छात्रों के लिए स्थापित करते हैं जो अधिक व्यापक शिक्षण मानकों को पूरा करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

अगले वक्ता डॉ विनोद शानवाल ने कहा कि सीखने के उद्देश्य भी छात्रों के लिए शैक्षणिक अपेक्षाओं को स्थापित करने और स्पष्ट करने का एक तरीका है ताकि वे ठीक से जान सकें कि उनसे क्या अपेक्षित है। जब सीखने के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से छात्रों को बताया जाता है, तो तर्क यह है कि छात्रों को प्रस्तुत लक्ष्यों को प्राप्त करने की अधिक संभावना होगी। इसके विपरीत, जब सीखने के उद्देश्य अनुपस्थित या अस्पष्ट होते हैं, तो छात्रों को यह नहीं पता हो सकता है कि उनसे क्या अपेक्षित है, जो तब भ्रम, निराशा या अन्य कारक पैदा कर सकता है जो सीखने की प्रक्रिया में बाधा डाल सकते हैं।

कार्यक्रम में एक के बाद एक सभी संकायों के विभागाध्यक्षों ने अपने अपने विभागों में चल रहे पाठ्यक्रमों के उद्देश्यों को सभा में ऑनलाइन उपस्थित सहयोगियों के समक्ष साझा किया और उस पर गहन चर्चा की गयी।

कार्यक्रम का संचालन डॉ अक्षय कुमार सिंह, सदस्य, आईक्यूएसी ने अपने चिर परिचित अन्दाज़ में बड़ी ही सफलतापूर्वक किया। इस कार्यक्रम में सरस्वती वंदना डॉ अमित अवस्थी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ भूपेन्द्र चौधरी ने किया।

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