न्यायमूर्ति जे आर मिधा, न्यायाधीश दिल्ली उच्च न्यायालय ने विधि संकाय के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र के लिए आज गलगोटियाज विश्वविद्यालय परिसर का दौरा किया। जस्टिस मिधा का स्वागत एनसीसी कैडेट्स द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर के साथ किया गया और चांसलर सुनील गलगोटिया, सीईओ ध्रुव गलगोटिया, कुलपति डाॅ0 प्रिति बजाज, डीन एस0ओ0एल0 और विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों द्वारा गुलदस्ता देकर स्वागत किया गया। इस दौरान मुख्य अथिति ने कानूनी सहायता सेल, लॉ कॉलिज के साथ साथ विश्वविद्यालय का भी मुआयना किया, जिसमें कानूनी शिक्षा के संकाय प्रभारी ने उन्हें कानूनी सहायता सेल के कामकाज के बारे में जानकारी दी। कानून विभाग में उन्होंने लाइब्रेरी और मूट कोर्ट हॉल का दौरा किया और चित्र गैलरी काे भी देखा। जिसमें विभिन्न प्रकार की सह-पाठ्यचर्या और पाठ्येतर गतिविधियां शामिल हैं, जो छात्रों के विकास के लिए समय-समय पर आयोजित की जाती हैं।
न्यायधीश मिधा ने शिक्षण अधिगम के शिक्षण के लिए सार्थक अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने 1989-1992 तक दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर में कानून के संकाय के रूप में काम करने के अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में शिक्षण कानून के महत्व, सादगी और दृढ़ता के साथ कानून सिखाने के बारे में बात की। उन्होंने जोर दिया कि शिक्षण के दौरान अनुभाग, प्रावधानों और मामले के कानूनों पर जाने के बजाय, संकाय को सरलता और दृढ़ता के साथ कानून स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। ताकि यह छात्रों की रूची में हो, उन्होंने उचित मूटिंग कौशल, तर्क क्षमता विकसित करने पर जोर दिया। कानून के छात्रों के साथ उन्होंने वास्तविक अदालत के कुछ अनुभवों को साझा किया।
न्यायमूर्ति मिधा के महान दार्शनिक विचारों को सुनकर संकाय बहुत प्रभावित था। सत्र का समापन विश्वविद्यालय के एसओएल डीन और वरिष्ठ अधिकारी डाॅ0 अज़ीम खान द्वारा वोट ऑफ थैंक्स के साथ किया गया।