अलविदा सुशांत राजपूत, तुम्हें हम भुला ना पाएंगे! : हरिवंश चतुर्वेदी

गर कोई ख्वाब बिखर जाए तो उम्मीद हरगिज मत छोड़िए ! फिर से नए ख्वाब बुनिए !

जिंदगी में बार बार पस्त हिम्मती आती है! कई बार ठोकरें लगती हैं ! गिरकर फिर से उठ पड़ना ही इंसान का काम होता है। सुशांत राजपूत में असाधारण प्रतिभा थी। उस की फिल्म छिछोरे याद आती है जब वह एक ऐसे पिता की भूमिका करता है जो कि अपनी जिंदगी में आए एक संकट का सामना करने के लिए अपने पुराने दोस्तों को बुलाता है जिन के साथ वह पढ़ता था।

छिछोरे की कहानी याद दिलाती है कि जब कभी कोई बड़ा संकट हमारी जिंदगी में आए तो अपने परिवार के लोगों के साथ साथ अपने करीबी दोस्तों से मदद मांगनी चाहिए।

सुशांत एक खूबसरत जिंदगी का प्रतीक था जिसे करोड़ों लोग पसन्द करते थे । अगर कल ये दर्दनाक घटना ना होती तो ना जाने कितनी और शानदार फिल्में और टीवी सीरियल हमें देखने को मिलते। उस में एक और दिलीप कुमार ,संजीव कुमार और अमिताभ बच्चन बनने की संभावनाएं छुपी थी।

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