कवियत्री अंजलि शिशोदिया,
कोरोना ने मचा दिया है जग में हाहाकार।
राजा हो या रंक हो सब हैं इसके शिकार।।
बचा ना इससे कोई,हैं सारी दुनियाँ रोई।
ये कैसी फसल है बोई,ना सोया चैन से कोई….
बड़े बड़ों का तोड़ दिया कुदरत ने अभिमान।
अहम तोड़कर ईश्वर ने कीन्हा एक समान।
माटी का पुतला नर है, ना इसको पाप से डर है।
ना इसके दया जिगर है, रोया अब शहर शहर है….
गली मोहल्ले चौबारों पर होती थी जो बात।
दहशत में है कट रही अब सबकी हैं रात।
अपनी हदों को जानों प्रकृति को पहचानों
दैवीय शक्ति को मानों,उसके परण को जानो….
डॉक्टर सेना पुलिस बल कर रहे दिल से काज।
कोटि नमन हैं तुमको मेरा तुम हो भगवन आज।
प्रार्थना करती रब को,उम्र लगे मेरी तुमको।
गर्व है तुम पर हमको ,झुककर नमन हैं तुमको….
कोरोना ने धर लिया महारूप विकराल।
आओ मिलकर हम बने इस दानव का काल।
बुरी है ये बीमारी,बन्द हैं दुनिया सारी
वन्दना सुनो मुरारी,खत्म करो ये महामारी…