एक दिन दिया जलाने
की घोषणा से परेशान हैं
कुछ अतिरिक्त बुद्धिमान
लगते बहुत हैरान हैं।
पूछते हैं ,लोजिक क्या है
इससे तो क्या हो जाएगा
क्या इन व्यर्थ के कृत्यों से
कोरोना क्या खत्म हो जाएगा?
क्यो सुबह सुबह उठना लगता अच्छा
सुन-सुन चिड़ियों की बोलियों से,
इसका लोजिक कैसे सिद्ध करें,
कि बच्चा ,सोये क्यों माँ की लोरियों से।
जब कोई बोझ उठाते हैं मजदूर भला मिल कर सारे
“दम लगा कर हईशा “क्यों बार बार भरे हुंकारे,
अब कैसे सिद्घ करें इससे, कोई हाथ नहीं छुटता है
हुंकार से आता जोश,फिर भारी सामान उठता है।
घनघोर उछलती लहरो पर मांझी जब नाव चलाते हैं
“हई रे ,हई रे ओ हा” का जब गीत निरंतर गाते हैं।
कैसे साबित कर दें,गीतों से नाव भला क्या चलती है?
पर ये भी सच इससे तुफानो,में हिम्मत सबकी बढ़ती है।
क्या तोप भला थामे है ये,संगीनें क्या चलवाती है
वंदे मातरम की पुकार फिर रण में नजर क्यों आती है।
झंडा टुकड़ा है कपड़े का ,क्यों इसके लिए मर जाते हैं।
दस रुपये का ध्वज वो तो, पूरा देश समझ फहराते हैं।
कमजोरी हो या ताकत हो ,रहती इंसा के मन में हैं,
सामूहिकता से सब कष्ट मिटे,आते जो भी जीवन में हैं।
सूर्य की किरणें कभी कभी कपड़े भी नही सूखा पाती,
उनको लेंस से जो एकत्र करो आग कहीं भी लगा जाती।
शारिरिक ताकत मिलने से ,सुलभ काम तो हो जायें,
हर मन की ताकत मिल जाये तो ,बुरी बला भी टल जाये।