गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में नवागंतुक छात्र – छात्राओं का अनुप्रेवेश कार्यक्रम हुआ आयोजित

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में 23 जुलाई  को नवागंतुक छात्र – छात्राओं का अनुप्रेवेश कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में विशेष कर उन छात्र-छात्रयों का अनुप्रेवेशन में आमंत्रित किया गया। व्यक्तित्व विकाश, विभागीय अभिविन्यास, शैक्षणिक उत्सव, सांस्कृतिक उत्सव, विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक गतिविधियाँ से रूबरू,  विश्वविद्यालय के खेलकूद  की गतिविधियाँ, मानवमूल्यों एवं आचार नीति, बच्चों में अंतर्निहित प्रतिभाओं को निखारने, योग एवम् मेडिटेशन से अवगत कराया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत बुद्ध वंदना एवं सरस्वती वंदना से की गयी। उसके बाद सर्वप्रथम विश्वविद्यालय पे बनी एक विडीओ डॉक्युमेंटरी दिखायी गयी ताकि छात्रों को विश्वविद्यालय की एक झलक मिल सके।

तत्पश्चात प्रफ़ेसर श्वेता आनंद ने छात्रों को सम्बोधित किया। अपने व्यक्तव्य में उन्होंने विश्वविद्यालय के बारे में संक्षेप में छात्रों को बताया। साथ ही यह भी बताया कि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय किस प्रकार अन्य विश्वविद्यालयों से भिन्न है इसी क्रम भी उन्होंने ने कहा की मानव मूल्य एवं बौध नीति विश्वविद्यालय की यूसपी है। उन्होंने ने कहा की विश्वविद्यालय की एक अंतर्रष्ट्रिय पहचान है। यहाँ अच्छी संख्या में विदेशी विद्यार्थी भी हैं। ज़्यादातर विदेशी छात्र बौध अध्ययन विभाग में है और लगभग विश्वविद्यालय की अन्य संकायों भी हैं इसका फ़ायदा यह है की आप सभी को उनकी संस्कृति को भी समझने का अवसर मिलेगा।
डॉक्टर मनमोहन सिंह, प्रभारी छात्र कल्याण ने छात्रों से सम्बंधित समितियों एवं नियमों से  छात्रों को अबगत कराया साथ ही खेलखुद एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।

उसके बाद प्रफ़ेसर पी. के. यादव ने छात्रों को एक उत्साहवर्धक भाषण दिया और कहा की विफलता नाम की कोई चीज़ होती ही नहीं है। विफलता और सफलता आप के ही हाथ में है।

अंत में लेकिन सबसे जोशिला एवम् उत्साह वर्धक व्यक्तव्य विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री बच्चू सिंह जी ने दिया। उन्होंने अपने व्यक्तव्य से छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने ने छात्रों से अपनी अपेक्षा बतायी और यह भी आग्रह किया कि उन्हें क्या करना चाहिए की विश्वविद्यालय एक ब्राण्ड  नेम बने क्योंकि विश्वविद्यालय के छात्र ही विश्वविद्यालय के ब्राण्ड ऐम्बैसडर हैं। धैर्य का मतलब बड़े ही सहज एवं आसान तारिक से उसका गूढ़ मंत्र दिया जैसे धैर्य परिवार के साथ हो तो प्यार है, धैर्य अपने लिए हो तो आत्मविश्वास है, धैर्य भगवान के लिए है तो आस्था है और धैर्य अगर शिक्षकों एवम् अपने से बड़ों के लिए है तो आदर है।

 आगे उन्होंने ने छात्रों को शिक्षा का मूल मंत्र दिया की शिक्षा का मतलब है पहले सिखना,फिर कमाना और आख़िरी में वापस करना । इससे उनका तात्पर्य यह था की शिक्षा से सीखो, कमाओ एवं उसी समाज को अपना दो। कुलसचिव की बातों को सुनकर छात्र काफ़ी उत्साहित थे और बीच बीच में तालियाँ भी बजा रहे थे।
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