Dr Avdesh Kumar Shrotiya
Greater Noida 15/0419 किसी आवश्यक कार्य से तुग़लपुर की ओर जाते हुए रास्ते मे एक गाड़ी को पेड़ से टकराता देख जब अन्य मददगारों की तरह मैं भी रुका तो देखा कि क्षतिग्रस्त गाड़ी में दो युवक बुरी तरह से लहूलुहान थे,जो मदद के लिए चिल्ला रहे थे, रास्ते से गुजरने वाले काफी लोगो ने उन घायलों की मदद की । स्वयं मैंने अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए पुलिस की मदद के लिए 100 नम्बर पर 22:28 पर फ़ोन कर घटना की जानकारी दी और ठीक 22:31 पर मेरे पास स्थानीय डायल 100 की गाड़ी के प्रभारी का घटना की लोकेशन पूछने के लिए फोन आया और 22:35 पर डायल 100 की गाड़ी आकर रुकी और इंस्पेक्टर साहब ने थोड़ी सी मुझसे तफ़्तीश (आवश्यक) करी फिर घायलों को गाड़ी में लेटाकर यथार्थ अस्पताल की और ले गए। एक घायल व्यक्ति का लहू ज्यादा बह चुका था अगर थोड़ी देर भी मदद न मिलती तो उस व्यक्ति की ज़िंदगी में संघर्षपूर्ण दौर आ सकता था। इस पूरे प्रकरण में जिस तत्परता के साथ पुलिस ने अपने कार्य को निर्वहन किया वो काबिले तारीफ़ हैं । तब मुझे और भी अच्छा लगा जब लखनऊ कॉल सेंटर से ठीक 22:41 पर डायल 100 की गाड़ी से मदद मिल जाने की पुष्टि के लिए भी फ़ोन आया /
डायल 100 एक बहुत ही अच्छा तंत्र विकसित हुआ हैं जिसका प्रभाव आज किसी की जान को बचते हुए देख समझ आया ।