मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जिसका विकास समाज के विकास के साथ साथ ही संभव है। समाज के विकास में कानून की महत्वपूर्ण भूमिका है। 21वीं सदी में देश और विदेश सभी स्थानों पर कानून का शासन मानव विकास की चुनौतियों के समाधान में अग्रणी भूमिका रखता है। ऐसा उद्बोधन सिविल न्यायाधीश सीनियर डिवीजन नीलू मैनवाल ने आईआईएमटी कॉलेज आफ लॉ और इन्डिपेंडेंट थाट के संयुक्त तत्वावधान में 21वीं सदी में मानव विकास – विभिन्न उपागमों के मद्दे और चुनौतियों के विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोलते हुए दिया।
आईआईएमटी ग्रुप आफ कालेज के प्रबन्ध निदेशक मयंक अग्रवाल ने कार्यक्रम प्रारंभ करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि संगोष्ठी का विषय बहुत वृहद है। आईआईएमटी द्वारा ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन का उद्देश्य बहु-उद्देश्यपरक व्यक्तित्व का निर्माण करना है। आईआईएमटी कॉलेज आफ लॉ के निदेशक डा. पंकज द्विवेदी ने कहा कि 21वीं सदी में समाज का समुचित विकास आवश्यकतापरक शिक्षा पद्धति के माध्यम से ही संभव हो सकता है।
तृतीय तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता विधि संस्थान चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के निदेशक प्रोफेसर सत्य प्रकाश ने कहा कि मानव विकास के लिए वर्तमान में ही नहीं विश्व की शुरूआत से ही प्राकृतिक संसाधनों का महत्व रहा है
चतुर्थ तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर उदय शंकर ने कहा कि विज्ञान और तकनीकी ने मानव विकास के स्तर को बढ़ाने का कार्य किया है परन्तु इस बात से सचेत रहने की जरूरत है कि आने वाले समय में विज्ञान का गलत उपयोग न होने पाये। तकनीकी सत्र में कुल 30 प्रतिभागियों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जेड.यू. खान ने कहा कि मानव विकास के समक्ष उपलब्ध चुनौतियों का समाधान समाज की जागरूकता से संभव है। संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, बिहार, चीन तथा झारखण्ड से 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर अतिथिवक्ता के तौर पर एस.पी.ओ. ललित मुद्गल, प्रोफेसर बी.एन. दुबे, डा. योगेंद्र कुमार, प्रोफसर अजय कुमार तथा एडवोकेट विक्रम सिंह, आदि अतिथिगण उपस्थित रहे।