शिक्षकों को चाणक्य की भांति शिक्षा प्रदान करने की जरूरत है। जिससे न्यायपालिका और विधायिका के वर्तमान कार्यशैली में परिवर्तन लाया जा सके। शिक्षक जिस नर्सरी में कार्य कर रहे हैं उसकी उत्पादकता के परिणाम स्वरूप न्याय के दो प्रमुख वर्ग अधिवक्ता तथा न्यायाधीश का सृजन होता है। अतः शिक्षकों की न्याय में प्रमुख भूमिका है। शिक्षकों को ऐसे अधिवक्ता तैयार करने की जरूरत है जो अधिक वक्ता या अधीरवक्ता न होकर अधिवक्ता हों ये बातें हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आर.बी. मिश्र ने ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क 3 स्थित आईआईएमटी कॉलेज आफ लॉ के तत्वाधान में सात दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम का शुभारंभ के अवसर पर कही।
उच्च शिक्षा में प्रभावी अध्यापन तथा शोध विषय पर आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम के शुभारंभ सत्र में मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आर.बी. मिश्र, विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की प्रोफेसर अनुपमा गोयल, विशिष्ट अतिथि श्री ललित मुदगल, प्रो. सत्य प्रकाश, डॉ. पंकज द्विवेदी, प्रो. राकेश जौली ने अपने विचार रखे।
विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की प्रोफेसर अनुपमा गोयल ने कहा कि उच्च शिक्षा में विद्यार्थी विद्यालयी शिक्षा के उपरांत प्रवेश करता है। यहां पर विद्यार्थी पुनः शिशु की भांति होता है, जिसके सृजन की पुनः आवश्यकता होती है। विशिष्ट अतिथि श्री ललित मुदगल ने कहा कि नवीन माध्यमों तथा नवीन प्राविधियों का प्रयोग वर्तमान समय में उच्च शिक्षा की आवश्यकता है।
प्रमुख व्याख्यान वक्ता प्रो. सत्य प्रकाश ने शिक्षकों को शिक्षण विधि के बारे में समझाया। एक उदाहरण के द्वारा यह बताया कि जिस प्रकार सड़क के किनारे बाजीगर लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है, उसी प्रकार शिक्षकों को सड़क का बाजीगर न होकर क्लास का बाजीगर बनकर उन्हें उच्च शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।
आईआईएमटी कॉलेज ऑफ लॉ के निदेशक डॉ. पंकज द्विवेदी ने कहा कि वक्ता ओं द्वारा दिए गए व्याख्यान से शिक्षकों को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। जिससे वह आने वाले समय में छात्रों को अनुभवजन्य शिक्षा प्रदान कर पाएंगे। इसके साथ ही शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि अभी यह कार्यक्रम अगले छः दिनों तक चलेगा, जिसमें शिक्षक नए नए शिक्षण तथा शोध के आयामों अवगत होंगे।
कार्यक्रम में जामिया मिलिया विश्वविद्यालय, नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, शारदा यूनिवर्सिटी, एमबीएन यूनिवर्सिटी, चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, गलगोटिया यूनिवर्सिटी, एशियन लॉ स्कूल, आईआईएमटी कॉलेज ऑफ लॉ, आईआईएमटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, आईआईएमटी कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट, आईआईएमटी कॉलेज ऑफ फॉर्मेसी, ग्रेटर नोएडा लॉ कॉलेज, इशान लॉ कॉलेज, कैलाश इंस्टीट्यूट तथा ज्योति विद्यापीठ आदि के शिक्षकों ने भाग लिया।