खरीदारों की उम्मीदों पर फिर पानी, रेरा में भी नहीं हो पाया समस्याओं का समाधान

फ्लैट खरीदारों की परेशानी दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) लागू किया गया था। खरीदारों को उम्मीद थी कि उनकी समस्या का जल्द से जल्द समाधान होगा और बिल्डरों पर कार्रवाई होगी। लेकिन धीरे-धीरे उनकी उम्मीद टूटती नजर आ रही है। खरीदारों का कहना है कि केवल तारीख पर तारीख मिल रही है। वह यह भी कहते हैं कि अगर कोई फैसला सुनाया जाता है तो बिल्डर उसका पालन नहीं करते हैं।
रेरा में शिकायत करने वाले खरीदारों का कहना है कि तीन बार में शिकायत का निस्तारण करने का दावा किया गया था, लेकिन छह से आठ तारीख लगने के बाद भी फैसला नहीं आ रहा है। सोचा था कि जल्द निर्णय आएगा तो बैंक और घर के किरायेे से छुटकारा मिलेगा, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। अगर फैसला भी आ रहा है तो बिल्डर उसका पालन नहीं कर रहे हैं। रेरा देरी से कब्जा देने का जुर्माना बिल्डर-बायर्स एग्रीमेंट से दिलवा रहा है।
अहम है कि जुलाई, 2017 को यूपी रेरा लागू हुआ था। सितंबर, 2018 को ग्रेटर नोएडा में सुनवाई शुरू हुई। रेरा में अब तक 9000 से अधिक खरीदार अपनी शिकायत दर्ज करा चुके हैं। अभी भी रोजाना 50 शिकायत दर्ज हो रही हैं। रेरा अब तक 2000 से अधिक मामलों की सुनवाई पूरी कर चुका है, लेकिन फ्लैट खरीदार रेरा की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है।

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