सौरभ श्रीवास्तव टेंन्यूस ग्रेटर नोएडा
ग्रेटर नोएडा के सिटी पार्क में गणराज महाराष्ट्र मित्र मंडल द्वारा गणेश महोत्सव मनाया जाता है और इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमो का भी आयोजन किया जाता रहा है । गणराज महाराष्ट्र मित्र मंडल के द्वारा क्षेत्र व बाहर की कलाकारों को अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिये एक बढ़िया मंच दिया जाता है । कल उसी मंच में भव्य कवी सम्मलेन का आयोजन कवी मुकेश शर्मा द्वारा किया गया।
जिसमे कवी दीपक शर्मा जो मंच का संचालन कर रहे थे, कवी देवनागर, कवी दुर्गेश, कवी हाशिम फिरोजाबादी, कवी प्रख्यात मिश्रा जो लखनऊ आये थे, कवित्री कविता किरण, कवित्री सुमन शोलंकी, कवित्री रमा सिंह और कवी मुकेश शर्मा ने अपनी रचनाएँ लोगों के सामने रखी।
कार्यक्रम की शुरुआत गणेश जी की आरती व कवित्री कविता किरण ने माँ शारदे वंदना से की।
कवी दुर्गेश ने अपनी कविता मुझे अपना बना लो तुम, तुम्हे अपना बना लू मैं ! से कवी सम्मलेन का शुभारंभ कर लोगो को अपनी कविता के माध्यम से जोडा और कवी सम्मलेन का आगाज लोगो की तालियों की गड़गड़ाहट के साथ हुआ। मंच का संचालन कर रहे कवी दीपक शर्मा बीच बीच में अपनी कविता से लोगो को गुदगुदाते रहे । युवा कवि देवनागर जो की ग्रेटर नोएडा क्षेत्र की ही निवासी है उनका कविता कहने का अपना ही अलग ढंग है देवनागर ने अपनी कविता फेसबुक देख चित्र, बन गया मैं भी मित्र कविता से ग्रेटर नोएडा के लोगो को अपनी कविता से बांधे रखा वह बैठे स्रोताओं ने उनकी कविता को बहुत सराहा। कवियत्री सुमन शोलंकी ने भी अपनी अद्भुत रचना रिस्तो को निभाने की शुरुआत हो गई के द्वारा सबको सम्मोहित कर लिया।
ग्रेटर नॉएडा के निवासी वरिष्ठ कवी मुकेश शर्मा ने अपने गीतों से लोगों का मन मोह लिया। उन्होंने अपनी रचना “कलम के लिए और वतन के लिए” सुना कर खूब वाह-वाही बटोरी।
कवी हाशिम फिरोज वादी ने भी अपनी कविता हांथो में तिरंगा न संभाला जाए, ऐसे निताओं के सांसद से निकाला जाए से वहां बैठे सभी लोगो का दिल जीत लिया और अपनी कविताओं का ऐसा समां बांधा की जब तक वो मंच से कविता सुनाते रहे तब तक लोगो के हांथों से तालियां बजती है पूरा एरिया तालियों की गूंज से भर गया । वहीँ लखनऊ से आय युवा कवि प्रख्यात मिश्रा ने अपनी वीर रस की देश भक्ति से भरी कविताओं से सब की धड़कने तेज कर दी वहां बैठे युवाओं ने उनकी कविता को खूब सराहा।
कवी सम्मलेन देर रात तक चली। कवियों ने कविताओं का ऐसा समां बांधा था कि रात ज्यादा होने के बावजूद भी लोग वहां काफी संख्या में कविता का आनंद लेते रहे।