टेन न्यूज नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा (06 मई 2023): गौतमबुद्ध नगर में किसी दौर में आतंक का पर्याय माना जानेवाला कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना को STF ने मुठभेड़ में मार गिराया और इस क्षेत्र में दो दशक से चले आ रहे खौफ के राज का अंत कर दिया। अनिल दुजाना ने रंगदारी के बदौलत अपना आतंक का साम्राज्य खड़ा किया था। दादरी, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और मेरठ एवं आसपास के इलाकों में व्यापारियों से हथियार के दम पर रंगदारी वसूलता था और अपना खौफ का राज चलाता था।
यूपी के टॉप 65 बदमाशों की सूची में था शामिल
अनिल दुजाना का नाम उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी प्रदेश के टॉप 65 बदमाशों की सूची में भी शामिल था। इस सूची में गौतमबुद्ध नगर के जिन सात माफियाओं और बदमाशों का नाम शामिल है उसमें एक नाम अनिल दुजाना का भी था। गौतमबुद्ध नगर समेत एनसीआर में लगभग दो दशक तक इसके आतंक का राज कायम रहा।
खौफ ऐसा की गवाह मुंह खोलने को तैयार नहीं
अनिल दुजाना के सिर पर कई नेताओं का हाथ था, उसे पूरा राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। और उसने क्षेत्र में ऐसा खौफ पैदा किया था कि कोई गवाह मुंह खोलने को तैयार नहीं था। गवाही नहीं होने के कारण वह सजा से भी बचता रहा। इतना ही नही जेल के भीतर से भी वो अपना कारोबार चलाता था और रंगदारी वसूलता था। इसका खुलासा कुछ दिन पूर्व दादरी के एक अन्य कुख्यात मनोज नंगला के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद हुआ।
जानें क्राइम की पूरी कुंडली
गौतमबुद्ध नगर जनपद का नोएडा और ग्रेटर नोएडा शहर जहां औद्योगिक विकास के साथ ही ट्रांसपोर्ट, स्क्रैप और फैक्ट्रियों में श्रमिक लगवाने के ठेके का धंधा शुरू हुआ और यहीं से शुरू हुआ नोएडा ग्रेटर नोएडा में बदमाशों का एक अलग अध्याय। इस काम में सबसे पहले कुख्यात नरेश भाटी और सुंदर भाटी गैंग शामिल था। बाद में नरेश भाटी जिला पंचायत चेयरमैन बन गया।
इस कुंडली का दूसरा अध्याय शुरू हुआ साल 2004 में जब नरेश भाटी की सुंदर भाटी गैंग ने हत्या कर दी। जिसके बाद नरेश भाटी गैंग की कमान उसके छोटे भाई रणपाल ने संभाली।और अनिल दुजाना उसमें शार्प शूटर के रूप में शामिल हुआ। साल 2006 में रणपाल को पुलिस ने सिकंदराबाद में एनकाउंटर में मार गिराया जिसके बाद उसका छोटा भाई रणदीप भाटी ने गैंग की कमान संभाली।
2010 में अनिल दुजाना ने बना लिया अपना अलग गैंग
इस कुंडली का तीसरा अध्याय शुरू हुआ साल 2010 के आसपास जब दादरी में नंदू रावण का आतंक था। रंगदारी नहीं देने पर उसने कई व्यापारियों को मौत के घाट उतार दिया था। रणदीप भाटी के जेल जाने के बाद अनिल दुजाना ने नंदू रावण से हाथ मिलाया और एक अलग गैंग बना लिया।
साल 2013 में नंदू रावण के मारे जाने के बाद अनिल दुजाना ने अकेले गैंग की कमान संभाल ली। कारोबारी नरेंद्र शर्मा की हत्या मामले में उसके पिता राजकुमार शर्मा गवाह थे। 15 जून 2015 को जुनपत गांव में घुसकर अनिल ने राजकुमार की हत्या कर दी। दर्जनों लूटपाट, हत्या के बाबजूद अनिल दुजाना का आतंक का कारोबार फलता फूलता रहा ।
गत वर्ष अनिल गैंग के बिल्लू दुजाना और राकेश गाजियाबाद में मारा गया था। जिसके बाद ऐसा माना जा रहा था कि अनिल थोड़ा कमजोर पड़ गया था और जेल से बाहर आने के बाद एकबार फिर वह अपना आतंक पैदा करना चाहता था।।
अनिल दुजाना पर 18 मर्डर सहित रंगदारी, लूटपाट, जमीन कब्जाने, गैंगस्टर एक्ट और आर्म्स एक्ट के 62 संगीन मुकदमे दर्ज थे। अंततोगत्वा UP STF ने बीते 4 मई को अनिल दुजाना को मार गिराया।।