जेपी ग्रीन्स सोसाइटी के रसूखदार निवासी, कुत्तों के आतंक के कारण उतरे सड़क पर

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (26/03/2023): यूं तो कुत्ता को मनुष्य का सबसे वफादार और मिलनसार जानवर माना जाता है, लेकिन जब उसी कुत्ते का आतंक लोगों को सताने लगे और उनके डर से लोग भयभीत होने लगे तो सोचिए की क्या स्थिति होगी। कुछ ऐसा ही आलम है ग्रेटर नोएडा का, जहां से आएदिन कुत्तों के आतंक से जुड़ी खबरें आती रहती है। बुजुर्ग एवं बच्चों का घर से निकलना, पार्क जाना, प्रात:काल में टहलना अब दूभर हो रहा है।

500 एकड़ में बसे शहर की जानी मानी जेपी ग्रीन्स सोसाइटी में शहर के कई रसूखदार लोग रहते हैं। सोसाइटी में रहने वाले लोगों को अब आवारा कुत्तों का डर सताने लगा है, इस बाबत सोसाइटी के निवासियों ने एक मीटिंग बुलाई जिसमें लगभग 100 लोग मौजूद रहे। बैठक में मौजूद लोग दो मतों में बंटे दिखे, जहां कुछ लोग कुत्तों के लाभ और उसके देखभाल की वकालत कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग आवारा कुत्तों के आतंक से भयभीत थे।

बता दें कि आवारा कुत्तों को लेकर पूर्व में भी कई नियम बनाए गए हैं बाबजूद इसके भी लोगों को कुत्तों का आतंक सता रहा है। बैठक में कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका और तय किया गया कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी एवं पुलिस जेपी ग्रीन्स सोसाइटी के लोगों के आपसी सहमति से इसका समाधान करेंगे।

मौके पर टेन न्यूज की टीम ने जेपी ग्रीन्स सोसाइटी के वासिंदों से बातचीत की और इस मामले पर उनका मत जाना। टेन न्यूज नेटवर्क के साथ पूनम रावत ने बात करते हुए कहा कि सोसायटी के सभी लावारिस कुत्तों को अगर समय पर भोजन मिलता रहेगा तो इनसे सोसायटी में कोई भी समस्या नहीं होगी। इसलिए सोसायटी के सभी लोगों को इनको खाना खिलाना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि कुछ लोगों इन कुत्तों को सोसायटी से बाहर निकालने के लिए ग़लत खबरें फैलाते हैं। क्योंकि आजतक पूरी सोसायटी में किसी लावारिस कुत्तें ने किसी भी व्यक्ति को काटा नहीं है। साथ ही बात इसके आक्रामक होने की है तो ये बेजुबान जानवर है, अगर हम लोगों को भी दिन में हर समय खाना ना मिले तो हम भी चिढ़ जाते हैं। इसलिए मेरा मानना है कि यह उनको समय से खाना मिलता रहेगा तो सब अच्छा रहेगा।

टेन न्यूज नेटवर्क के साथ नरेंद्र और उनकी पत्नी आराधना ने बातचीत करते हुए कहा कि यह समस्या कोई लावारिस कुत्तों की नहीं है, बल्कि समस्या सुरक्षा की है। क्योंकि सोसाइटी में एक लावारिस कुत्तें ने एक व्यक्ति को काटा है। और क्या ये सभी कुत्ते वैक्सिनेट है? और सोसायटी में कुत्तों का बहुत आतंक है अकेले बाहर घूमना मुश्किल हो गया है। क्योंकि कुत्तों को हम समझा नहीं सकते हैं। आगे उन्होंने कहा कि उसकी 6 साल की छोटी बेटी है। वह उसको कुत्तों के डर से सोसायटी में अकेले नहीं छोड़ पाते हैं। साथ ही हमें लावारिस कुत्तों से कोई समस्या नहीं है हमें समस्या है कि हमारा बच्चा यदि सोसायटी में अकेले खेलें और धूमे तो वह सुरक्षित रहे।

टेन न्यूज नेटवर्क के साथ खास बातचीत करते हुए एक महिला ने कहा कि सोसायटी के सभी लावारिस कुत्तें वैक्सीनेट है। हमें इनको खाने खिलाने पर कोई पाबंदी नहीं लगा सकता है। कानून के अनुसार हम इनको खाना खिला सकते हैं। हर कुत्ते का अपना एक एरिया होता है इसलिए उनको उनके ही एरिया में खाना मिलता है। आगे उन्होंने कहा कि हम सोसायटी के अन्य लोगों से कोई मदद नहीं मांगते हैं कि आप हमारे साथ मिलकर इनको खाने खिलाए या उनको वैक्सीनेशन लगवाए हम इनके लिए खाना और वैक्सीनेशन खुद से कर रहे हैं।

टेन न्यूज नेटवर्क के साथ बातचीत करते हुए सचिन अग्रवाल ने कहा कि सोसायटी में लावारिस कुत्तों से उभरती समस्या समाधान कानून के आधार पर होना चाहिए। ताकि यहां बड़े बुजुर्ग, छोटे बच्चे और हम लोग सुरक्षित सोसायटी में रह और घूम सके। कहने के लिए जेपी ग्रीन सोसाइटी ग्रेटर नोएडा की सबसे बड़ी और जानीमानी सोसायटी है। लेकिन आज के समय में यह रहने लायक जगह ही नहीं रही है। क्योंकि यहां आज कोई भी इंसान अकेले घूम नहीं सकता है। आगे उन्होंने कहा कि अगर बात करें लावारिस कुत्तों की तो मेरे पास 20 से 25 लावारिस कुत्ते हैं। जिनका पालन पोषण हम करते हैं। हमें लावारिस कुत्तों से कोई समस्या नहीं है, बस हमे सोसायटी में सुरक्षित वातावरण चाहिए तो हमारे बच्चे और मां पाप सभी यहां सुरक्षित महसूस करें।

टेन न्यूज नेटवर्क के साथ बातचीत करते हुए संजय नाम के व्यक्ति ने कहा कि सोसायटी में जहां इन लावारिस कुत्तों को खाना दिया जाता है। वहां ये कुत्ते किसी लावारिस कुत्तों और लोगों को आने नहीं देते हैं ‌और किसी कारणवस इन लावारिस कुत्तों को समय पर भोजन मिलता और ये भूखे होते हैं तो आक्रामक हो जाते हैं। इस परिस्थिति में कोई अनजान व्यक्ति, छोटा बच्चा या बुजुर्ग उस समय उस एरिया में जाता हैं तो ये लावारिस कुत्ते भोजन की तालाश में इनको काटने को दौड़ता हैं। इसलिए लावारिस कुत्तों के खाने और रहने की अलग जगह सोसायटी में होनी चाहिए ताकि सोसायटी के बच्चे, बुजुर्ग और सभी लोग सुरक्षित रहे।

बता दें कि ग्रेटर नोएडा की जानीमानी जेपी ग्रीन सोसाइटी में रहने वाले लोगों का एक खेमा है जो सोसाइटी में लावारिस कुत्तों को रखने और उसे समयपर भोजन देने की वकालत करता है तो वहीं दूसरा खेमा है जो कुत्तों के आतंक से भयभीत है। अब सवाल यह है कि प्राधिकरण के अधिकारी और पुलिस प्रशासन इस समस्या का क्या समाधान निकालेगी ये देखने वाली बात है।।

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