टेन न्यूज नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा (20 मार्च 2023): हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (EPCH) के महानिदेशक एवं इंडिया एक्सपो मार्ट लिमिटेड (IEML) के अध्यक्ष, हस्तशिल्प जगत के पितामह कहे जाने वाले डॉ राकेश कुमार को हाल ही में तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद में आयोजित भव्य उपाधि अलंकरण समारोह में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई। इस हर्ष पूर्ण अवसर पर सोमवार को ग्रेटर नोएडा के बिमटेक संस्थान में गौतमबुद्ध नगर के कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा डॉ राकेश कुमार को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर बीमटेक के निदेशक डॉ हरिवंश चतुर्वेदी ने कहा कि “गौतमबुद्ध नगर की पहचान नोएडा एक्सप्रेस वे, यमुना एक्सप्रेसवे और शहर में लगे बड़े बड़े उद्योग धंधे से होती है। लेकिन एक और पहचान डॉ राकेश शर्मा जी ने दी है, और उस पहचान की बुनियाद में हजारों लाखों कारीगरों को रोजगार और उनकी मेहनत है। पहले बिचौलिए आते थे और उन कारीगरों से सामान खरीदकर जहां तहां बेचते थे, उन कारीगरों को कुछ भी हाथ नहीं लगता था। सरकारों ने बड़ी बड़ी योजनाएं चलाई लेकिन कोई योजना काम नहीं आई। जाने कहां से हिमाचल के एक छोटे से गांव से चलकर डॉ राकेश कुमार जी पूरे भारत में हेंडीक्राफ्ट की क्षितिज पर उभर कर आए। दुनिया घूमकर उन्होंने देखा कि अगर भारत में हेंडीक्राफ्ट का विकास करना है तो उसके लिए हमें एग्जीबिशन फैसिलिटी क्रिएट करनी पड़ेगी, मार्केटिंग और ब्रांडिंग करनी पड़ेगी। उसके लिए दुनियाभर में जाकर लोगों को बुलाना पड़ेगा की वो भारत में आए और कारीगरों के उत्पादों को देखें।”
बिमटेक के निदेशक ने आगे कहा कि “ऐसा कोई महीना नहीं होता जब ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में मेला नहीं लगा होता है, विदेशी लोग नहीं आए होते हैं और इसका पूरा श्रेय डॉ राकेश शर्मा जी को जाता है। जैसे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को लोग मिसाइल मैन के नाम से जानते हैं। एक ऐसा ही काम डीजी कुरियन ने किया था, उन्होंने देखा कि गुजरात में किसानों की हालत बहुत खराब थी जबकि वहां सबसे अधिक मिल्क पोटेंशियल था। उन्हें कॉपरेटिव यूनियन में नौकरी दी गई थी और यूनियन ने कहा कि आप गांव में आकर रहिए, लेकिन जब वो गांव में गए तो लोगों ने कहा कि ये तो क्रिस्टीशियन है इन्हें हम अपने मकानों में नहीं रहने दे सकते हैं। किसी ने उन्हें गराज में एक जगह दे दी और वो रहने लगे। उन्होंने ये कल्पना की कि भारत में सभी बच्चे को दूध मिले और हर किसान को दूध की सही कीमत मिले इसीलिए उन्होंने मिल्क रिवोल्यूशन खड़ा किया। जरूर उन्हें 25-30 साल लगे ठीक उसी प्रकार राकेश कुमार जी ने कल्पना किया की कारीगरों को उनके काम का उचित मुआवजा मिले। तो राकेश जी वास्तव में ‘हैंडीक्राफ्ट मैन ऑफ इंडिया’ हैं, और अब लोग सोच रहे हैं कि जो राकेश शर्मा ने गौतमबुद्ध नगर में कर दिया वो दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में क्यों नहीं हो सकता है।”
इस अवसर पर नोएडा अपैरल एक्सपोर्ट क्लस्टर के अध्यक्ष ललित ठुकराल ने कहा कि “पिक्चर अभी बाकि है, अभी इन्हें आगे बहुत काम करना है। आजतक सबको इज्जत और सम्मान देनेवाले को आज सम्मान दिया गया है। मैं राकेश जी के साथ बहुत पहले से जुड़ा हुआ हूं। ये सफर इतना आसान नहीं था, मैं उन लोगों का धन्यवाद करना चाहूंगा जिन्होंने इनके राह में रोड़े अटकाए और इसीलिए आज ये यहां हैं। इन्होंने बहुत मेहनत की, बड़ी शिद्दत से काम किया और इसीलिए इन्हें ये कामयाबी मिली है। इन्होंने बड़ी मशक्कत की सरकार से पैसे लेकर आएं। इन्होंने जो एग्जीबिशन सेंटर बनाया है ये पूरे हिंदुस्तान में सबसे बेहतर हैं।”
इस अवसर पर सभी अतिथियों एवं आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा डॉ राकेश शर्मा ने कहा कि “यह जो है एक मानद उपाधि है और इसका श्रेय उस सेक्टर को जाता है जिसमें काफी समय से काम नहीं हुआ था और हमें उस सेक्टर में काम करने की ऑपर्चुनिटी मिली। एक समय ऐसा था जब मैने ज्वाइन किया तब लोग हैंडीक्राफ्ट को गुड्डा-गुड्डियों का कारोबार समझते थे। हेंडीक्राफ्ट को लोग केवल कुंभकार का काम तक देखते थे। उस क्षेत्र में काम करने के लिए वास्तव में एक बहुत बड़ी संभावनाएं थी, और मैंने भी नहीं सोचा था कि इतना बड़ा होगा। देश में 60 लाख आर्टिजंस है जिनके बनाए उत्पाद कभी बिकते हैं और कभी बिकते भी नहीं है। जब मैंने काम शुरू किया तब एक्सपोर्ट के विषय में लोग बहुत जानते नहीं थे। 287 करोड़ रूपए के साथ हमने इसकी शुरुआत की तब 150-200 निर्यातक काम कर रहे थे, फिर अलग अलग तरीके के हमलोगों ने एक्सपेरिमेंट किए और तब चीजें समझ में आई। 1992 में हम विदेश के एक बड़े एक्सबिशन में गए। हमने देखा कि इस पूरे व्यापार पर उनदिनों चंद लोगों का कब्जा था। तब हमें यह बात समझ आ गई थी की इस क्षेत्र में जहां लोग गरीब हैं, कारीगर हैं अगर उनका विकास करना है तो मार्केटिंग को उनके पास लाना पड़ेगा। और तब हमने 1994 में पहला एग्जीबिशन लगाया। उस समय जब ना मोबाइल था और ना कोई अन्य साधन था उस समय हमारे लिए बायर्स को खोजना और खोजकर लाना बहुत कठिन काम था। आज हमारे साथ 11,500 लोग हैं जो निर्यातक हैं और 60 लाख आर्तिजंस हैं जो हमारे साथ काम कर रहे हैं। 287 करोड़ का ये एक्सपोर्ट आज कुल 56 हजार करोड़ का एक्सपोर्ट है।”
आगे उन्होंने कहा कि “हमने इस बात पर जोर दिया की क्या बिकेगा, कहां बिकेगा और कब बिकेगा। हमने सोचा कि पहले माल बेचो फिर जो होगा बाकि देखा जाएगा।” साथ ही डॉ राकेश कुमार ने अलग अलग क्षेत्रों के उद्यमियों से अपील की इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और लोगों को इस क्षेत्र में बढ़चढकर काम करना चाहिए, सभी लोग साथ आएं।
इस अवसर पर कैलाश ग्रुप के निदेशक दिनेश शर्मा, ITE ग्रुप एक्सपो सेंटर नोएडा के अध्यक्ष डॉ मुकेश शर्मा, शारदा यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर YK गुप्ता, जिम्स के निदेशक ब्रिगेडियर डॉ RK गुप्ता, DDRWA के अध्यक्ष ऐन पी सिंह, टेन न्यूज़ के संस्थापक गजानन माली, एडवोकेट मुकेश शर्मा, आदित्य घिल्डयाल एवं जिले के अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।