Galgotias University में “स्टार्ट-अप” के लिए आईपीआर और आईपी प्रबंधन पर कार्यशाला का हुआ समापन

गलगोटियाज विश्वविद्यालय की इनोवेशन काउंसिल ने बौद्धिक संपदा कार्यालय, दिल्ली, भारत सरकार के सहयोग से “स्टार्ट-अप” के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) और आईपी प्रबंधन पर कार्यशाला” का सफलतापूर्वक आयोजन किया।
इस कार्यशाला में गलगोटियाज विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों के विभिन्न विभागों के यूजी, पीजी, पीएचडी छात्रों और शिक्षकों सहित लगभग 200 प्रतिभागियों ने ऑफलाइन मोड के द्वारा भाग लिया।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो के० मल्लिकाअर्जुन बाबू ने दीप प्रज्वलित करके कार्यशाला का शुभारंभ किया और उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि हमारा गलगोटिया विश्वविद्यालय अधिकतम पेटेंट भरने के लिए पूरे भारत में 8वें स्थान पर है। और सभी प्रतिभागियों से कहा कि अब कड़ी मेहनत करके अधिकतम पेटेंट भरकर विश्वविद्यालय को प्रथम स्थान पर लेकर आना है।
कार्यशाला का संचालन हम्माद रिजवी ने किया। कार्यशाला का आरंभ स्कूल ऑफ बेसिक एंड अप्लाइड साइन्स के डीन प्रो॰ अरविंद कुमार जैन ने किया और प्रतिभागियों को बौद्धिक संपदा अधिकार और आईपी प्रबंधन की प्रक्रिया को जानने के लिए प्रेरित किया ।

शैलेंद्र सिंह, पेटेंट और डिजाइन परीक्षक समूह ए राजपत्रित अधिकारी, पेटेंट कार्यालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, नई दिल्ली ने प्रतिभागियों को पेटेंट, डिजाइन, व्यापार चिह्न, भौगोलिक संकेत, कॉपीराइट, सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटेड सर्किट लेआउट-डिजाइन के बारे मे विस्तारपूर्वक बताया। गलगोटियाज विश्वविद्यालय के सीईओ ध्रुव गलगोटिया ने इंस्टीट्यूशन की इनोवेशन काउंसिल गलगोटियास यूनिवर्सिटी की 4 स्टार रेटिंग में योगदान देने के लिए इनोवेशन, एंटरप्रेन्योरशिप और स्टार्टअप से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों के संचालन के लिए डॉ. गौरव कुमार की पूरी टीम को अपने शुभकामनाएँ प्रेषित की।

डॉ भारती जैन, संस्थापक, स्वैश लीगल कंसल्टेंट्स, एडवोकेट (दिल्ली बार काउंसिल), और पंजीकृत पेटेंट एजेंट ने केस स्टडीज के माध्यम से बौद्धिक संपदा अधिकार की प्रक्रियाएं और व्यावसायिक लाभ के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार का लाभ उठाने के बारे मे बताया।

सत्र के अंत में, 25 से अधिक प्रतिभागियों ने अपने प्रश्न पूछे और संतोषजनक उत्तर प्राप्त किए।प्रो० राजेंद्र सिंह अनुसंधान सलाहकार गलगोटियाज विश्वविद्यालय और डीन प्रो॰ अरविंद कुमार जैन ने आशीष प्रभात एवं डॉ भारती जैन को स्मृति चिन्ह भेंट किये।

डॉ सुमेधा मुखर्जी ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ सत्र का समापन किया।

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