चाणक्य का अर्थशास्त्र, नवग्रहों की पूजा हमारे प्राचीन ज्ञान और दर्शन का उत्कृष्ट उदाहरण है: सुनील गलगोटिया, कुलाधिपति गलगोटिया विश्वविद्यालय

टेन न्यूज नेटवर्क

ग्रेटर नोएडा (12 नवंबर 2022): भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा “युवा शोधवीर समागम 2022” कार्यक्रम का उद्घाटन भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। ग्रेटर नोएडा स्थित गलगोटिया विश्वविद्यालय में इस शानदार सामाजिक एवं शैक्षिक महोत्सव का आयोजन हुआ । कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय शिक्षण मंडल के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर सच्चिदानंद जोशी ने की । विशिष्ट अतिथि के रूप में सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा , विधायक धीरेंद्र सिंह , सुनील गलगोटिया, कुलाधिपति, गलगोटिया विश्वविद्यालय सहित कई अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।

 

सुनील गलगोटिया , कुलाधिपति, गलगोटिया विश्वविद्यालय ने सम्मानित मंच से सभी अतिथियों, गणमान्य सज्जनों , मीडिया , अध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि “राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दूसरे सर संचालक एवं महान विचारक आदरणीय गुरुजी गोलवलकर जी ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा था कि ‘द राइट एटीट्यूड एंड इंस्पेरेशन हैव टू बी एंप्लांटेड इन द यंग मैन राइट फ्रॉम द एलिमेंट्री स्कूल स्टेज। वी शुड ड्रॉ अपॉन द लिमिटलेस स्टोर हाउस ऑफ आवर एनिसिएंट एज वेल एज मॉडर्न लिट्रेचर।’ भारतीय शिक्षण मंडल इस दिशा में सतत प्रयासरत है। 27 अगस्त 1968 को रामनवमी के दिन इस संस्थान के 28 प्रदेशों में उपस्थिति से स्पष्ट होता है कि आप असीम ऊर्जा और संकल्प के साथ आदरणीय गुरुजी द्वारा सुझाए गए विचारों पर चलकर भारतीय शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव के लिए प्रयासरत हैं।”

 

आगे अपने संबोधन में सुनील गलगोटिया ने कहा “परमपूज्य गुरुजी के जन्म शताब्दी वर्ष 2006 में आपके द्वारा आयोजित देशभर में शिक्षण समारोह मेरे इस कथन को प्रमाणित करते हैं। 1977 में आदरणीय बालासाहब देवरस एवं रज्जू भैया के आशीर्वाद से राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सुधार के लिए आपके द्वारा किए गए प्रयास एवं 1980 में इंडियन नेशनल एजुकेशन में प्रयास सराहनीय है। मेरे इस कथन को इस बात से समझा जा सकता है कि अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी अमेरिकी संस्थान नासा भी भारतीय ऋषि मुनियों के विज्ञान को स्वीकार करने लगी है। हनुमान चालीसा में सूर्य एवं पृथ्वी की दूरी का वर्णन है। आधुनिक विज्ञान की गणनाओ के 200 वर्ष पूर्व तुलसीदास द्वारा सटीक गणना हमारे वेदों और ग्रंथों में मौजूद ज्ञान को दर्शाता है। चाणक्य का अर्थशास्त्र, वैदिक गणित, रामानुजम भास्कर का जीरो की खोज तथा हमारे द्वारा नवोग्रहों की पूजा हमारे प्राचीन ज्ञान और अनुसंधान का उत्कृष्ट उदाहरण है।”

सुनील गलगोटिया ने योग विद्या के प्रसार पर जोर देते हुए कहा कि ” पीएम मोदी के प्रयासों से योग और वैदिक शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता व प्रसिद्धि मिल चुकी है।”

आखिरी में श्री गलगोटिया ने कहा कि “आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि हमारे विश्विद्यालय के पूरे भारत वर्ष में रिसर्च पेटेंट कराने के लिए इंडियन पेटेंट ऑफिस डिपार्टमेंट ऑफ पेटेंट ऑफ इंडस्ट्रीज भारत सरकार द्वारा 9वां स्थान प्रदान किया गया है।

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