BIMTECH ने 35वां स्थापना दिवस के मौके पर प्रसिद्ध नाटक ‘जिस लाहौर नई वेख्या…’ का किया आयोजन

बीमटेक , ग्रेटर नॉएडा अपने ‘फाउंडेशन” दिवस का आरम्भ कर चूका है. २ अक्टूबर को बिमटेक में स्थापना दिवस महात्मा गांधी और बिमटेक की राष्ट्र-निर्माण के लिए उनके सामाजिक मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के सम्मान के रूप में मनाया जाता है। यह इस संसथान का ३५ वा वार्षिक समारोह है. हर वर्ष अनेक कार्यक्रम इस साप्ताहिक समारोह के दौरान आयोजित किये जाते है जिसमे कॉलेज के छात्र, अध्यापक व बहार से आये अनेक विदेशी छात्र सुन्दर नाट्य कार्यक्रम का आनंद लेते है. कॉलेज और मीडिया विभाग का विचार हमेशा अखंडता और एकता, तथा व्यावहारिक एवं सांस्कृतिक तरीके से बच्चो का विभिन्न कला छेत्रो में प्रोत्साहन करने में हमेशा अग्रसर रहता है. थिएटर और नाट्य कार्यक्रम छात्रों में रचनात्मकता, नैतिकता, और संगठित तरीके से विचारो के समन्वय का जरिया बन चूका है| थिएटर हमे आत्म अभिव्यक्ति को मजबूत बनाने तथा अपने विचारो को सही और सूक्ष्म तरीके से अभिव्यक्त करने में सहायता करता है|

इस वर्ष का समारोह ३० सितम्बर को एक दिलचस्ब नुक्कड़ नाटक कार्यक्रम से प्रारम्भ हुआ जो की दिल्ली  के नाट्य ग्रुप ‘अस्मिता थिएटर ग्रुप ‘  द्वारा प्रदर्शित किया गया| ३० सितम्बर को “बिमटेक विद्या केंद्र ” में आयोजित करा गया था। बिमटेक विद्या केंद्र एक एकीकृत शिक्षा केंद्र है जिसे सभी के लिए समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है और लिंग और धन असमानताओं को दूर करने और गुणवत्तापूर्ण डिजिटल साक्षरता के लिए सार्वभौमिक पहुंच की सुविधा के लिए सस्ती व्यावसायिक प्रशिक्षण तक समान पहुंच प्रदान करने के लिए शुरू किया गया है। अस्मिता थिएटर द्वारा प्रदर्शित नुक्कड़ नाटक कार्यक्रम ” नशा ” बहुत ही आकर्षक एवं मनोरंजक था. नुक्कड़ नाटक का मुख्य केंद्र युवाओ में बढ़ते नशे की लत व उसके दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करना था। यह हमारी युवा पीढ़ी को नष्ट करने वाला मुख्य अपराधी है।नुक्कड़ नाटक ने बहुत सुंदर व प्रेणादायक तरीके से नशे , नशे के विभिन्न कारण व नशे के दुष्परिणामों को उजागर किया  नशे के कुछ खतरनाक सामाजिक प्रभावों में स्वयं को चोट लगाना , दूसरों के प्रति आक्रामकता, हिंसक अपराध, बाल शोषण, पति या पत्नी के साथ दुर्व्यवहार, यातायात की मौत और कई अन्य शामिल हैं। तो, हम सभी को सुखद, संवेदनशील और आकर्षक जीवन के लिए नशे को ना कहना चाहिए। कार्यकर्म का समापन एक अत्यंत ही जागरूक करने वाली कविता से हुआ जो इस प्रकार है |

“दोस्तो ने कहा था जिंदगी जीना है तो नशा करके देखो,

मैने करके देखा,

जीने के लिए तरस रहा हूँ|”

शाम को बिमटेक परिसर में समारोह आगे भी जारी रहा। इस दिन पर गेस्ट ऑफ ऑनर आर.सी. गौर, निर्देशक नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा ऑफ़ ड्रामा , मुंबई ने शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम की शुरुआत सम्मानित अतिथि डॉ. एच. चतुर्वेदी (निदेशक) अनुपम वर्मा (उप निदेशक), और प्रो सलोनी सिन्हा, (मेंटर-मजलिस) द्वारा औपचारिक दीप प्रज्ज्वलित करके की गई।

सम्मानित अतिथि आर.सी. गौर ने बिमटेक के इस पहल की सराहना की और कहा की अन्य शैक्षिक संस्थानों को भी प्रेरित होकर इस तरह की पहल करनी चाहिए, साथ ही उन्होंने कहा की नई शिक्षा निति २०२२ में भी कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ही इस शामिल किया गया।

मोटेराम का सत्याग्रह का सार:

व्यापक विचारों की खोज करना उदार कलाओं का लक्ष्य लंबे समय से रहा है। समाज में दयालु लोगों का पोषण करने के लिए, बिमटेक ने अस्मिता थिएटर द्वारा मोटेराम का सत्याग्रह को सम्मोहक सामाजिक विषयों पर अपने नाट्य उत्सव के एक भाग के रूप में प्रस्तुत किया। यह नाटक व्यवस्था, खासकर नौकरशाही का मजाक उड़ाता है। यह एक मजेदार यात्रा में दर्शक को शक्ति की गैलरी तक पहुंचाता है। यह मुंशी प्रेमचंद की एक लघु कथा रूपांतरण है। नायक मोटेराम के माध्यम से नौकरशाही व्यवस्था की एक परीक्षा की पेशकश की गई है।

निदेशक बिमटेक के मार्गदर्शन में, डॉ एच चतुर्वेदी बिमटेक हर साल एक युवा रंगमंच कलाकार को “SARALA BIRLA AWARD 2022”  प्रदान करके युवा परिवर्तन निर्माताओं के प्रयासों को स्वीकार कर रहा है। वर्ष 2022 में, एमएस सवेरी गौर (वरिष्ठ कलाकार, अस्मिता थिएटर ग्रुप) को मुक्ति थिएटर और फिल्मों के क्षेत्र में उनके प्रभावशाली काम के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाने में उनके सराहनीय योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान किया गया था।

बिमटेक की ओर से धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए समारोह का समापन हुआ।

नाटक के अंत के बाद कलाकारों का परिचय हुआ और अरविंद गौर के साथ मुख्य अतिथि का अभिनंदन हुआ | सम्मानित अतिथि और थिएटर टीम के प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को सुविधा प्रदान की गई और बिमटेक की ओर से धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया।

1 अक्टूबर 2022 को नुक्कड़ नाटक “मर्द” हुआ जो की यथार्थ अस्पताल, एमजी रोड के सामने हुआ | स्थापना दिवस के दुसरे दिन का शुभारम्भ भी सामाजिक जागरूक नुक्क्ड़ नाटक से हुआ । नाटक का विषय ” “मर्द को दर्द नहीं होता?” से हुआ,नाटक का मुख्य केंद्र मर्द व पुरुष की भावनाओ के लिए सारे समाज में उसकी प्रति बनी हुई भरांतियों रहा।

“मर्द  को दर्द नहीं होता?”

या यूं कहो जताते नहीं! क्या इनके मन में कोई  जज्बात नहीं होते या यूं कहे की बताते नहीं!

कोन है ये मर्द जो कुछ बताते नहीं,

क्या दुनिया ने नाम तो बहुत दिए, पर असल में कौन है ?

आइए आज “मर्द” इस शब्द को भी थोड़ा समझते हैं, एकअलग नज़र से इनके किस्सों को सुनते है ।

शाम को बिमटेक परिसर में समारोह आगे भी जारी रहा। इस दिन पर गेस्ट ऑफ ऑनर असगर वजाहत, हिंदी स्कॉलर, ने समारोह की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम की शुरुआत सम्मानित अतिथि डॉ. एच. चतुर्वेदी (निदेशक), अनुपम वर्मा (उप निदेशक), और प्रो सलोनी सिन्हा, (मेंटर-मजलिस) ने की।

सम्मानित अतिथि ने कहा कि बिमटेक की इस पहल की सराहना की और कहा की   ”आज की युवा पीढ़ी को स्वतंत्रता के महत्व को समझते हुए इंसानियत के उद्धार हेतु शांति व अहिंसा को प्रथमिकता देनी चाहिए |”

औपचारिकताओं के बाद नाटक ‘जिस लाहौर नहीं देख्या’ प्रारम्भ हुआ | कहानी, 1947 में सेट की गई, लाहौर में एक बूढ़ी हिंदू महिला के बारे में है, जिसने अपने बेटे और परिवार को विभाजन के दंगों के परिणामस्वरूप लूट लिया, लखनऊ के एक मुस्लिम शरणार्थी परिवार द्वारा अपने घर को लूटने से इनकार कर दिया। मुस्लिम परिवार, विभाजन के दर्दनाक विस्थापन का सामना कर रहा है और स्थानीय, राजनीतिक गुंडों को लाने के लिए बेताब है। जैसे-जैसे गुंडे आगे बढ़ते हैं, स्थिति का फायदा उठाने के लाभ को भांपते हुए, वे मानवीय दया की ताकत के प्रति अंधे रहते हैं।

नाटक के अंत के बाद कलाकारों का परिचय हुआ और अरविंद गौर के साथ मुख्य अतिथि का अभिनंदन हुआ | टीम एस्से पप्ल को भी बधाई दी गई|

सम्मानित अतिथि और थिएटर टीम के प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को सुविधा प्रदान की गई और बिमटेक की ओर से धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया।

यह आयोजन हमारे राष्ट्र को सम्मान दिए बिना पूरा नहीं होता, इसलिए अंत में, सभी को राष्ट्रगान के लिए खड़े हुए और कार्यक्रम का समापन सकारात्मक और खुशी के साथ हुआ। समानता और तपस्या की भावना के साथ औपचारिक समारोहों का समापन सामुदायिक भोज के साथ हुआ।

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