गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने मनाई 131वीं आंबेडकर जयंती

१३१वीं आंबेडकर जयंती गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी मनाई गयी । इस कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय परिसर में बाबा साहब अम्बेडकर की बौध धर्म में दीक्षा लेते हुए मूर्ति को माल्यार्पण से हुयी। जिसकी शुरुआत कुलपति प्रो रवीन्द्र कुमार सिन्हा, कुलसचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी एवं अम्बेडकर जयंती के उपलक्ष में आयोजित विशेष व्याख्यान के मुख्य वक्ता प्रफुल्ल केतकर, सम्पादक ऑर्गनायज़र, प्रो नरेंद्र कुमार, जेएनयू, एवं डॉ राज कमल मिश्रा, महाराज विनायक गलोबल विश्वविद्यालय, जयपुर एवं विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अशैक्षणिक कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं ने की।

माल्यार्पण के पश्चात, इस अवसर पर एक विशेष व्याख्यान का भी आयोजन किया गया और इस शुभ अवसर पर राष्ट्रपति एवं विविध पुरस्कार से सम्मानित डॉ. ज्ञानदित्य शाक्य, जो कि बौध अध्ययन एवं सभ्यता संकाय में प्राध्यापक हैं और पाली भाषा एवं साहित्य के मुर्धन्य ज्ञाता हैं, की पहली बार संपादित व अनूदित ग्रंथ ‘दसबोधिसत्तुप्पत्तिकथा: दस बोधिसत्वों की उत्पत्ति-कथा’ का लोकार्पण गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवींद्र कुमार सिन्हा, कुलसचिव डॉ. विश्वास त्रिपाठी, प्रफुल्ल केटकर (संपादक, ऑर्गनाईजर), प्रो. नरेंद्र कुमार (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली), डॉ. राज कमल मिश्रा (महाराज विनायक ग्लोबल विश्वविद्यालय, जयपुर) के श्रीहस्तों द्वारा किया गया। यह पालि ग्रंथ भविष्य में होने वाले दस सम्यक सम्बुद्धो की जन्मकथाओं को उदघाटित करता है तथा इसका प्रकाशन पालि सोसाइटी ऑफ इंडिया, वाराणसी द्वारा किया गया है। डॉ. शाक्य वर्तमान में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में बौद्ध अध्ययन के सहायक प्रोफेसर हैं। इस अवसर पर कई शिक्षकों, मित्रों, परिवारीजनों व शुभेच्छुकजनों ने डॉ. शाक्य को इस साहित्यिक उपलब्धि पर बधाई दी।

विशेष व्याख्यान में कुलपति प्रो रवीन्द्र कुमार सिंह ने बाबा साहब के राष्ट्रानिर्मान एवं स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका को याद करते हुए श्रोताओं को उनके दिखाए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। राज कमल मिश्रा ने भारतीय संविधान की रचना तथा पिछड़े समाज के उत्थान में बाबा साहब के भूमिका एवं योगदान पर विशेष प्रकाश डाला। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो नरेंद्र कुमार ने महान राजनीतिक विचारक के रूप में डॉ भीमराव अम्बेडकर की भूमिका से श्रोताओं को अवगत कराया और यह किस प्रकार आज भी प्रभावी है उस पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया। विशेष व्याख्यान के अतिविशिष्ट वक्ता  प्रफुल्ल केतकर, सम्पादक ओरगनाइज़र, उनके के जीवन, संघर्ष तथा योगदान को विशेष रूप से उजागर किया। व्याख्यान का समापन कुलसचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन डॉ ओम् प्रकाश एवं डॉ चंद्रशेखर पासवान द्वारा किया गया।

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