रावण ने किया सीता का हरण : 50 फिट ऊपर आकाश में विशाल जटायु , रावण युद्ध
ग्रेटर नोएडा। श्री रामलीला कमेटी द्वारा आयोजित रामलीला कार्यक्रम ग्रेटर नोएडा के साइट-4 स्थित पेट्रोल पम्प के पीछे सेन्ट्रल पार्क में विजय महोत्सव 2015 का भव्य आयोजन चल रहा है। छठें दिन दीप प्रजवल्लित कर रामलीला मंचन उद्घाटन किया।
मीडिया प्रभारी विनोद कसाना ने बताया – नारद सूर्णपखा संवाद, सीता हरण, राम वियोग, जटायु – रावण युद्ध , रावण मरण की लीला का मंचन किया गया। इसमें पहली बार विशाल जटायु और रावण का युद्ध 50 फ़ीट की ऊंचाई पर आकाश में दिखाया गया। जिसे देखकर लोगों ने खूब तरीफ की। दर्शक रोमांचित हो उठे।
मंचन की शुरुआत नारद शूर्पणखा के संवाद से हुई। देवर्षि नारद मुनि के बताने पर रावण की बहन शूर्पणखा श्री राम के पास जाती है। राम लक्ष्मण को देखकर सूर्णपखा व्याह करने के लिए दोनों राजकुमारों को आकर्षित करने की कोशिश करती है। जंगल में राम लक्ष्मण दोनों भाई सूर्णपखा बहुत रिझाने की कोशिश करती है। तब श्री राम उसे समझाते हैं कि स्त्रियों को ऐसे नहीं घूमना चाहिए। जब बात नहीं बनी तो सूर्णपखा अपना असली भयंकर रूप दिखाते हुए सीताजी पर हमला करने की कोशिश करती है तो क्रोधित लक्ष्मण ने उसका नाक काट लेते हैं।
उसके बाद वह खरदूषण के पास जाती है, भगवान राम खरदूषण का संहार कर देते है। उसके बाद सूर्पणखा रोती-बिलखती भाई लंकापति रावण के पास पहुंच आपबीती सुनाई। इसके बाद रावण आगबबूला हो जाता है और बहन का बदला लेने का संकल्प लेता है। रावण मामा मारीच को सोने का हिरण बनकर कुटिया के आसपास विचरण करने का आग्रह करता है। मामा मारीच सोने का हिरण बन कुटिया के आसपास विचरण करने लगता है। सीता की इच्छा को देखते हुए प्रभु श्रीराम हिरन का आखेट करने के लिए लक्ष्मण को कुटिया में छोड़कर चले जाते हैं। हाय लक्ष्मण की आवाज सुनकर सीता घबरा जाती हैं और श्रीराम पर खतरा भांपते हुए उनकी रक्षा के लिए जाने की आग्रह करती हैं। लक्ष्मण ने कुटिया के चारों तरफ रेखा खींचकर इससे बाहर न निकलने का आग्रह करते हुए कुटिया से बाहर चले जाते हैं। तभी रावण साधु वेश धारण कर कुटिया के पास पहुंचता और भीक्षा की गुहार लगाता है। साधु की आवाज सुन सीता कंद-मूल लेकर बाहर आती हैं व साधु को देने लगती हैं। धोखे से रावण सीता जी का हरण कर ले जाता है।
सीता जी की पुकार सुन गिद्धराज जटायू पुष्पक विमान पर पहुंचते हैं और दशानन से उनका घनघोर युद्ध होता है। जिसके अंत में रावण चंद्रहास तलवार से जटायू के पंख काट देता है और वह असहाय होकर गिर जाते हैं। इस युद्ध का मंचन दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण रहा। पहली बार विशाल जटायु और रावण का युद्ध 50 फुट की ऊंचाई पर आकाश में दिखाया गया जिसे देख दर्शक भी रोमांचित हो उठे।
उधर, कुटिया पर सीता जी को न पाकर भगवान व्याकुल हो उनकी तलाश में निकलते हैं। विलाप करते हुए पूछते हैं ‘हे खग मृग हे मधुकर श्रेणी, तुम देखी सीता मृगनयनी’। सीता जी को खोजते हुए उनकी मुलाक़ात रावण से लड़कर घायल जटायु से होती है। गिद्धराज जटायु श्री राम को बताते हैं रावण माता सीता को हर कर ले गया है। इसके बाद जटायु प्राण त्याग देते हैं। तब श्री राम उनका दाह संस्कार करते हैं।
इस मौके पर अध्यक्ष सरदार मंजीत सिंह , महासचिव बिजेंद्र सिंह आर्य, कोषाध्यक्ष मनोज गर्ग,
सयुक्त महासचिव सौरभ बंसल, मीडिया प्रभारी , विनोद कसाना, ओमप्रकाश अग्रवाल , अमित गोयल,
हरेन्द्र भाटी, मुकुल गोयल जतन भाटी, श्यामवीर भाटी,अजय रामपुर , चाचा हिंदुस्तानी , सतवीर गुर्जर , कपिल गुप्ता , कुलदीप शर्मा , अतुल जिंदल , विजेन्द्र भाटी , हरवीर मावी , अरुण गुप्ता , प्रमोद मास्टर जी आदि मौजूद रहे।
जारी कर्ता — विनोद कसाना
मीडिया प्रभारी
9818216677
9718216677