केराना में हिंदुत्व की हुई करारी हार और सेक्यू लर के दलालों पर प्रहार करती मेरी ये ताजा रचना-
इन्हें राम नहीं रहमान चाहिए।
गीता नहीं कुरान चाहिए।।
इनको नफरत हिंदुस्ता से।
प्यारा पाकिस्तान चाहिए।।
संस्कृत फिर टफ दिखती है।
उर्दू का यश गान चाहिए।।
नवरात्रे इन्हें कहाँ सुहाते।
सेमी संग रमजान चाहिए।।
सेक्यूलर के ये दलाल हैं।
मोटी दलाली दान चाहिए।।
बिके देश भले बिक जाये।
सत्ता की बस कमान चाहिए।।
शाकाहारी बन ना सकेगें।
मटन,चिकन सा खान चाहिए।।
धर्म-अधर्म को क्या जाने ये।
इन्हें योगी नहीं पठान चाहिए।
किस किस के मै नाम गिनाऊँ।
मोटा फिर कुछ ज्ञान चाहिए।
दक्ष’ ये सारे सर फिरे हैं।
इन्हें खून खराबा जान चाहिए।।
कविडॉ.मुकेश दक्ष
दादरी ग्रेटर नोएडा
भारत।