17 अप्रैल को लॉ स्कूल गलगोटियास विश्वविद्यालय ने मानव अधिकार अध्ययन केंद्रविधिक-सहायता समिति और आपराधिक न्याय अध्ययन केंद्र के सहयोग से ट्रांसजेंडर केअधिकारों पर राष्ट्रीय वार्तालाप (कोलोक्यूम) “अर्धनारीश्वर” का आयोजन किया।
अंतरराष्ट्रीय ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता श्रीमती लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जी इस कार्यक्रम की मुख्यअतिथि थी।
लक्ष्मी जी एक जीवित किंवदंती हैं जिन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय के उत्थान और समाज में उनकेअधिकारों के लिए रात-दिन काम किया है। एशिया पैसिफिक, संयुक्त राष्ट्र संघ, 2008 कोप्रतिनिधित्व करने वाली वो प्रथम ट्रांसजेंडर हैं। उन्होंने विभिन्न ग़ैर सरकारी संगठनों की मंडलोंकी सेवा किया जोकि “एलजी बीटी “ कार्य में संलग्न हैं। सन् 2002 में ये “दाय वेल्फेयरसोसाइटी” नामक ग़ैर सरकारी संगठन की अध्यक्षा बनी जो कि दक्षिण एशिया का किन्नरों केलिए प्रथम पंजीकृत और वो कार्यशील संगठन है।सन 2007 में इन्होंने अपना निजी ग़ैर-सरकारीसंगठन अस्तित्व का शुरूआत किया। यह संगठन लैंगिक अल्पसंख्यकों के कल्याण, उनकेसहयोग और विकास को बढ़ावा देने का कार्य करता है।
इस कार्यक्रम के गेस्ट ऑफ़ ऑनर श्रीमती नीलू मैनवाल सचिव, जिला विधिक सहायताप्राधिकरण गौतमबुद्धनगर और उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष भट्ट थे।
नीलू
मेनवाल ने ‘ट्रांसजेंडर समुदाय’ के अधिकारों और कैसे उच्चतम न्यायालयउनके संरक्षक और उत्थान के लिए विधि शास्त्र का आविर्भाव किया’ पर प्रकाश डाला।
सुभाष भट्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 पर अपने विचार प्रकट किये।
इसी अवसर पर बोलते हुए ध्रुव गलगोटिया सी०ई०ओ० गलगोटिया विश्वविद्यालय, श्रीमतीलक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के ट्रांसजेंडर समुदाय के उत्थान के प्रयत्नों को सराहा और इस महानकार्य के सहयोग के लिए वायदा भी किया। यह कार्यक्रम विधिक सहायता समिति द्वाराट्रांसजेंडर पर प्रदर्शित नुक्कड़ नाटक तथा जाल-बैंड का भी साक्षी रहा।