टेन न्यूज नेटवर्क,
ग्रेटर नोएडा, (10/08/2023): राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण के माध्यम से भारत और उत्तर प्रदेश में घटित सर्पदंश ( सांप काटने ) की घटनायें बढ़ने के दृष्टिगत उससे होने वाले नुकसान और बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की है।
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व अतुल कुमार ने जानकारी दी है कि सर्पदंश ( सांप काटने )से बचाव व उसके लक्षणों के विषय में जानकारी प्राप्त कर स्वयं बच्चे एवं दूसरे को भी बचाने का कार्य करें तथा साथ ही साथ एक दूसरे को जागरूक कर जनहानि की घटना को कम करने का प्रयास करें।
उन्होंने बताया कि भारत में अन्य राष्ट्रों जैसे अमरीका, ऑस्ट्रेलिया में विषैले सर्पों की प्रतिशत 85-65 आंकी गई है, जबकि विषहीन सर्पों की प्रतिशत 15-35 है, जिसके सापेक्ष मरने वालों की संख्या प्रतिवर्ष 0-10 व्यक्तियों की है। परन्तु भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 45 से 46 हजार मृत्यु सर्पदंश (सांप काटने) से होती है। जिसका प्रमुख कारण लोगों में अज्ञानता व समय से इलाज न कराने की बजाय झाड-फूंक आदि विश्वास करने से होती है। भारत में विषैले प्रमुख सर्प नाग (कोबरा) / कोमन केरट / स्केल्ड वाईपर/रसेल वाईपर व पिट वाइपर पाये जाते है, जो प्राय: उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, केरल, तमिलनाडू, उडीसा व असम आदि राज्यों के जंगलों में सर्वाधिक पाये जाते है। सर्पदंश ( सांप काटने ) की स्थिति में क्या करें क्या न करें के बारे में जिला आपदा विशेषज्ञ गौतमबुद्धनगर ओमकार चतुर्वेदी ने विस्तृत रूप से बताया
सर्पदंश के लक्षण
सर्पदंश वाले स्थान पर तेज दर्द होना,
बेहोशी होना,
सर्पदश वाले हिस्से में सूजन, पलकों का भारी होना, सीना आना,
उल्टी महसूस होना,
सांस लेने में तकलीफ होना, आंखों का धुंधलापन।
क्या करें
सबसे पहले रोगी को आश्वस्त करें, क्योंकि लगभग 70-80 प्रतिशत सांप के काटने के मामले गैर विषैले होते हैं। घायल व्यक्ति को सांत्वना दें। घबराहट से हृदय गति तेज हो जाती है और जहर सारे शरीर में फैल जायेगा।
सांप के रंग और आकार को देखने व याद रखने की कोशिश करें। शरीर के प्रभावित हिस्से अंगीठियां, घडी, आभूषण, जूते व तंग कपडे हटा दें ताकि प्रभावित हिस्से में रक्त की आपूर्ति न रूके।
सर्पदंश से प्रभावित अंग को स्थिर रखे, उसे हिलाने डूलाने से बचें।
पीडित को जितना जल्दी हो सकें निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र ले जायें। पीडित व्यक्ति का सर ऊंचा करके लिटाये या बैठायें।
घाव को तुरन्त साबुन व गर्म पानी से साफ करें। स्वास्थ्य से जुडी सहायता से अपनी स्थानीय सी०एच०सी०/पी०एच०सी० से सम्पर्क करें। सांप काटने का समय नोट कर लें, ताकि जरूरत पड़ने पर आपातकालीन कक्ष स्वास्थ्य सेवा प्रदाता को इसकी सूचना दी जा सके। पीडित व्यक्ति को शांत व स्थिर रहने को कहें।
काटे हुए अंग को हृदय के लेवल से नीचे रखें।
क्या न करें
सांप काटने पर झाड़- फूंक न करें।
सर्पदंश वाले अंग को न मोड़ें।
उंची जमीन पर जाने के लिये पानी में तैरते समय सापों से सावधान रहें।
सांप को अपने आसपास देखने पर धीरे-धीरे उससे पीछे हटे। सांप को पकड़ने व मारने की कोशिश न करें।
मलबा व अन्य वस्तुओं के नीचे सांप हो सकते है। घाव को काटने का प्रयास न करे।
सांप के काटने पर बर्फ न लगायें, क्योंकि बर्फ रक्त संचार को अवरुद्ध कर सकती है। जहर चूसने के लिये अपने प्रयोग न करें। शराब, कैफीन न पीये या कोई दवा न लें।*
सर्पदंश कीट का प्रयोग न करें। उन्होंने आगे यह भी बताया है कि व्यवसायिक कीटों में अक्सर चीरा लगाने के लिये एक न एक ब्लेड होता है, जो शरीर की आंतरिक संरचनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।
जब आप मोटे चमड़े के जूते न पहने हो, उस समय लम्बी घास से दूर रहें। भय एवं चिन्ता न करें। सभी सांप जहरीले नही होते हैं। सभी सांपों के पास हर समय पूरा जहर नही होता है, अगर पूरा जहर हो तो भी इसका पम्पजिंस लिथलडोज हमेशा नही प्रवेश कर पाते है।
सांप के काटने के उपरान्त साथ सांप के निशान की जाँच कराये कि जहरीले या विषैले सांप ने काटा है। साप के विष के अनुसार Antivenom (Injection) लगवाया जाये।
विषहीन सांप के काटने से भी घाव के आसपास सूजन एवं खुजली होती है। दो कारणों से सांप काटते है। आहार (भोजन के लिये। भय एवं आत्मरक्षा के लिये (करैत के द्वारा) बिस्तर पर भी काटने की घटना होती है।
सांप को दूर रखने के तरीके सांप के बिल में कार्बोलिक एसिड डाल दें, उसकी गंध से साप दूर हो जाते है।।