सीईओ नरेंद्र भूषण ने किया कासना का दौरा, री-डेवलपमेंट का खींचा खाका

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा के सबसे पुराने गांवों सूरजपुर व कासना के री-डेवलपमेंट पर प्राधिकरण ने तेजी से काम शुरू कर दिया है। दोनों गांवों की वास्तकिता जानने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण खुद मौके पर गए और वहां की स्थिति का जायजा लिया। सीईओ ने कासना स्थित प्रसिद्ध सती निहालदे मंदिर के आसपास के एरिया को भी विकसित करने का निर्णय लिया है।

सूरजपुर व कासना, ग्रेटर नोएडा के दो सबसे पुराने गांव हैं। ग्रेटर नोएडा की शुरुआत ही इन दो गांवों से हुई है। इसे देखते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण ने दोनों गांवों को नए सिरे से विकसित करने का निर्णय लिया। रीडेवलपमेंट प्लान के अंतर्गत दोनों गांवों की सड़कों, गलियों का पुनर्निर्माण किया जाएगा। बाजार का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। सूरजपुर स्थित घंटाघर चौक (सूरजपुर तिराहा) और उसके आसपास के एरिया को एंटरटेनमेंट जोन के रूप में विकसित किया जाएगा। कासना के निहालदे मंदिर के आसपास के एरिया को संवारा जाएगा। एसटीपी व मंदिर के बीच स्थित नाले को रीवर फ्रंट की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। सूरजपुर में स्थित सभी सरकारी महकमों को भी सजाया संवारा जाएगा। उनके आसपास हरियाली, पार्किंग, फुटपाथ आदि विकसित किए जाएंगे। सूरजपुर व कासना कस्बे के पुर्नउद्धार में 50-50 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है। हाल ही में संपन्न बोर्ड बैठक में दोनों गांवों के री-डेवलपमेंट प्लान को प्राधिकरण बोर्ड ने मंजूरी दे दी है। प्रारंभिक धनराशि के रूप में बजट में 10-10 करोड़ रुपये का प्रावधान भी कर दिया है। दोनों गांवों के री-डेवलपमेंट प्लान में तेजी लाने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण ने सूरजपुर के आसपास और कासना का जायजा लिया। सती निहालदे मंदिर व उसके आसपास के एरिया को देखा। सीईओ ने कासना स्थित एसटीपी के पीछे निहालदे मंदिर के पास बह रहे हवालिया नाला के किनारे रीवर फ्रंट के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। सीईओ सिरसा एंट्री प्वाइंट तक गए। वहां ट्रकर्स पार्क के कामों का भी जायजा लिया। सूरजपुर-कासना रोड के किनारे ग्रीनरी को और अधिक विकसित करने के निर्देश दिए। वहीं, निरीक्षण के बाद सीईओ ने प्रोजेक्ट विभाग व ई एंड वाई टीम के साथ बैठक की और कंसल्टेंट का चयन जल्द कर डीपीआर तैयार कराने को कहा है। नरेंद्र भूषण ने दोनों गांवों के लिए 100 दिन के भीतर कंसल्टेंट का चयन करने, तीन माह में डीपीआर बनवाने और टेंडर प्रक्रिया पूरी कर एक साल के भीतर मौके पर काम शुरू कराने के निर्देश दिए हैं। 2025 तक इन दोनों को गांवों को विकसित करने का लक्ष्य किया है। निरीक्षण के दौरान जीएम प्रोजेक्ट एके अरोड़ा, वरिष्ठ प्रबंधक सलिल यादव, कपिल सिंह, मनोज धारीवाल, राजीव कुमार व सुभाष चंद्र, प्रबंधक जितेंद्र यादव व वैभव नागर आदि मौजूद रहे।

इसलिए बहुत खास हैं कासना व सूरजपुर

सूरजपुर व कासना का एतिहासिक महत्व भी है। बताया जाता है कि कासना को मध्यकाल में राजा राव कासल ने बसाया था। प्राचीन किले का अवशेष अब भी है। सती निहालदे का मंदिर भी कासना में है। कासना में नौलखा बाग भी बहुत प्रसिद्ध हुआ था, जिसमें नौ लाख पेड़ थे। इसके कुछ हिस्से में मंदिर और उसके आसपास हरियाली अब भी है।
इसी तरह सूरजपुर को मध्यकाल में राजा सूरजमल ने बसाया था।

गौतमबुद्ध नगर का मुख्यालय (कलेक्ट्रेट) , विकास भवन, पुलिस कमिश्नर ऑफिस, जिला अदालत, जीएसटी कार्यालय आदि सूरजपुर कस्बे की जमीन पर ही बने हुए हैं। प्राचीन बराही मेला भी सूरजपुर में ही लगता है। लगभग दो किलोमीटर एरिया में इसकी बसावट है।

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