गलगोटिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लिबरल एजुकेशन में शुक्रवार को ‘पीस एजुकेशन प्रोग्राम’ के तहत ‘आत्म-अन्वेषण, शोध और अनुसंधान’ विषय पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम प्रेम रावत फाउंडेशन के सहयोग के साथ आयोजित किया गया था।
कार्यक्रम की शुरुआत वाइस चांसलर डॉ. मल्लिकार्जून बाबू, प्रोफेसर डॉ. रेनू लूथरा, पीवीसी डॉ. अवधेश कुमार, एवं अन्य सम्मानित अतिथियों के द्वारा दीप-प्रज्जवलन कर की गई। स्कूल ऑफ लिबरल एजुकेशन की डीन डॉ. अनुराधा पाराशर ने अपने स्वागत उद्बोधन में सात दिनों तक चलने वाले इस वर्कशॉप की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी। साथ ही, उन्होंने देश-विदेश से ऑनलाइन जुड़े सभी प्रतिभागियों का अभिनंदन किया। इस अवसर पर स्कूल ऑफ लिबरल एजुकेशन के शिक्षकों के सहयोग से प्रकाशित किताब ‘21वीं सदी में चुनौतियां, मुद्दे और अवसर’ का विमोचन किया गया।
विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर मल्लिकार्जून बाबू ने इस अवसर पर कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए आत्मिक शांति बनाए रखना बहुत जरूरी है। यह आत्मिक शांति आपको आंतरिक ऊर्जा प्रदान करती है और आपको जीवन के प्रति सकारात्मक रखती है। आत्मिक शांति के शत्रु ईर्ष्या और लालच हैं।
विश्वविद्यालय की चांसलर सलाहकार प्रोफेसर डॉ. रेनू लुथरा ने अपने उद्बोधन में खुद की अंतरात्मा की पहचान करने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमें अपने उन चीजों और स्थितियों का विश्लेषण करना चाहिए जो हमारी आत्मिक शांति को भंग करती हैं। साथ ही, उन्होंने दूसरों के प्रति समानुभूति रखने का संदेश दिया कि जैसा हम अपने लिए चाहते हैं, वैसा ही दूसरों के साथ भी व्यवहार करें।
नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. सुरेश गुप्ता ने कहा कि उन्हें खुशी है कि गलगोटिया विश्वविद्यालय ने इस विषय को लेकर अपनी रूचि दिखायी है और इस वर्कशॉप को आज के समय की जरूरत बताया ताकि शिक्षक और विद्यार्थी अपने जीवन के हर पल का आनंद ले सकें।
भारतीय रेल के रिटायर्ड इंजीनियर के. के. मिगलानी ने पूरे विश्व में प्रेम राउत फाउंडेशन द्वारा किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस वर्कशॉप में भाग लेने वाले लोगों के अंदर कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिले।
रजनीश आईएएस एकेडमी के डायरेक्टर रजनीश कुमार ने विद्यार्थियों के लिए ‘पीस एजुकेशन प्रोग्राम’ की जरूरत को रेखांकित किया।
विश्वविद्यालय के प्रो वाइस-चांसलर डॉ. अवधेश कुमार ने कहा कि आत्मिक शांति हमारी परवरिश पर निर्भर करती है। जिस तरह के माहौल में हम पले-बढें हैं, उसी तरह का हमारा आचरण होता है, और यही आचरण हमारी आत्मिक शांति तय करता है। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने विश्वविद्यालय के चांसलर सुनील गलगोटिया, मुख्य कार्यकारी अधिकारी ध्रुव गलगोटिया और डायरेक्टर अराधना गलगोटिया को इस कार्यक्रम के लिए अपना सहयोग देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस वर्कशॉप के माध्यम से हमें कुछ नया सीखने का मौका मिलेगा।