राजा से बड़ा राष्ट्र, देश सर्वोपरि – सुनील बंसल
सेनापति ने राजा के रक्त से किया मातृभूमि का “रक्त अभिषेक”
ग्रेटर नॉएडा | भारत नवनिर्माण ट्रस्ट के सौजन्य से देश भक्ति की अनसुनी गाथा पर आधारित, श्री दया प्रकाश सिन्हा (पूर्व IAS) द्वारा लिखित व निर्देशित, ऐतिहासिक नाटक “रक्त-अभिषेक” का लाइट व साउंड के माध्यम से भव्य मंचन शनिवार को सायं 5 बजे से यूनाइटेड कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड रिसर्च, नॉलेज पार्क 3, निकट एक्सपो मार्ट, के सभागार में किया गया | कार्यक्रम में प्रवेश केवल निमंत्रण पत्र द्वारा था |
कार्यक्रम में श्रीमान सुनील बंसल जी (प्रदेश संगठन महामंत्री भाजपा ) मुख्य अतिथि के रूप में पधारे थे| श्री बंसल ने बताया कि अहिंसा का आधा-अधूरा ज्ञान हिंसा को जन्म देता है। अहिंसा की वास्तविक अवधारणा की अनभिज्ञता अन्तत: हिंसा और भीषण रक्तपात की कारक होती है। राष्ट्र, राजा से भी बड़ा और सर्वोपरि होता है इसलिए हमें अपने सभी निर्णय राष्ट्रहित को ध्यान में रख कर लेने चाहिए |
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री विजय शंकर तिवारी, राष्ट्रीय प्रवक्ता-विश्व हिन्दू परिषद् एवं महामंत्री भारतीय धरोहर ने बताया कि हमारा प्राचीन ज्ञान विज्ञान काफी सम्रद्ध रहा है लेकिन हम लोग उसको भूलते जा रहे हैं| आज आवश्यकता है उस ज्ञान विज्ञान को सभी के सामने लाने की | कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि श्री हरीश चन्द भाटी, पूर्व मंत्री, स्वागत अध्यक्ष श्री राजेश गुप्ता, वाईस चेयरमैन GNIOT, संयोजक श्री ओमप्रकाश गुप्ता उपस्थित थे | कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री देवी शरण शर्मा ऐडवोकेट, डीजीसी सिविल ने की |
कार्यक्रम के संयोजक श्री ओमप्रकाश गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर आधारित इस नाटक का मंचन 22 सदी पहले, मौर्य साम्राज्य के अन्तिम सम्राट बृह्द्रथ के समय घटित ऐतिहासिक घटना से समाज को अवगत करने के लिए किया गया था |
कार्यक्रम स्वागत अध्यक्ष श्री राजेश गुप्ता, वाईस चेयरमैन, GNIOT ग्रुप, ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में हिंसा की नैतिक दुविधा और अहिंसा के बारे में चर्चा करते हुए, यह घटना नाटकीय रूपांतरण में प्रस्तुत की गई है । नाटक “रक्त-अभिषेक” में वर्तमान को सन्देश देता हुआ इतिहास एकदम जीवित हो उठता है |
नाटककार दयाप्रकाश सिन्हा ने नाटक में दार्शनिक सिद्धांत और कठोर यथार्थ के साथ ही आदर्श और व्यवहारिक सत्य, अकर्म और कर्म, हिंसा और अहिंसा के बीच मानव के द्वन्द को गहन सघनता से पेश किया है। नाटक हमें अहिंसा के अधूरे ज्ञान को पुनर्विचार करने के लिए विवश करता है। यह भारतीय इतिहास की एकमात्र सैनिक तख्ता-पलट की घटना है जो रक्त अभिषेक में रूपायित की गयी है |
सिकंदर के भारत विजय के अधूरे स्वप्न को पूरा करने के उद्देश्य से और सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा सेल्यूकस की पराजय का प्रतिशोध लेने हेतु, ग्रीस का राजा मिनेन्डर भारत पर निरंतर आक्रमण कर रहा था | दूसरी और पाटलिपुत्र के सिंहासन पर बैठा अन्तिम मौर्य सम्राट बृह्द्रथ अहिंसा में अपने अधंविश्वास के कारण साम्राज्य की रक्षा करने में अक्षम साबित हो रहा था | सम्राट बृह्द्रथ की सैनिक रणनीति और निर्णय क्षमता, भारतीय सुरक्षा तंत्र को अक्षम कर देती है। यवनों की आक्रमणकरी सेना बड़ते हुए अयोध्या पहुँच चुकी थी | उनका लक्ष्य था पाटलिपुत्र पर विजय | धर्म महामात्य भंते संघरक्षित (यवन टाईटस) और महामात्य अन्टोनिया, सम्राट को प्रभावित कर छल से, सेनापति पुष्यमित्र शुंग के विरोध के बाबजूद भी सेना को भंग करने का निर्णय स्वीकार करवा लेते हैं |
इतिहास के इस निर्णायक मोड़ पर मौर्य सेना का नायक पुष्यमित्र शुंग राष्ट्र की रक्षा करने के लिए आगे आता है और देश को यूनानी दासता से बचाता है | और इस निर्णायक मोड़ पर आचार्य पतंजलि का उपदेश, सेनापति शुंग को यवनों से राष्ट्र की रक्षा करने के लिए एक ऐसा कदम उठाने पर विवश करता है जो भारतीय इतिहास की एकमात्र घटना है |
आचार्य पतंजलि अपरोक्ष रूप से सेनापति को उपदेश देते हैं की राष्ट्र, राजा से ऊपर है और देश की रक्षा करना ही तुम्हारा धर्म है | और राष्ट्र की रक्षा के बीच में जो भी आता है उसे समाप्त करना ही सेनापति का कर्त्तव्य है |
इस ऐतिहासिक नाटक का मंचन “भारत नवनिर्माण ट्रस्ट” के अन्तर्गत आयोजित किया गया | भारतीय धरोहर, श्री वार्ष्णेय समाज ट्रस्ट एवं उ. प्र. उद्योग व्यापर मंडल, कार्यक्रम के सहयोगी संगठन थे |
कार्यक्रम अध्यक्ष श्री देवी शरण शर्मा ने बताया कि इस नाटक से अपने गौरवशाली इतिहास की झलक आगे आने वाली पीढ़ी को मिलती है |
इस दौरान भाजपा जिला अध्यक्ष विजय भाटी, ट्रस्ट के अध्यक्ष कुलदीप शर्मा, सचिव प्रोफ विवेक कुमार, कोषाध्यक्ष ललित शर्मा, नरेश कुमार गुप्ता, सौरभ बंसल, नन्द लाल सैनी, संजीव गुप्ता, तरुण कुमार, अनिल तायल, विवेक अरोरा, अवधेश पांडे, डॉ सुधीर सिंह, प्रवीण तोमर, बीना अरोरा, सरोज तोमर, नेहा अग्रवाल आदि सदस्य उपस्थित थे | कार्यक्रम का सञ्चालन भारतीय धरोहर के संगठन महामंत्री प्रवीण शर्मा एवं प्रोफेसर विवेक कुमार ने किया |