MAT SAMZO TUMNE GAAY KATKAR , VIJAY YATRA ROKI HAI

पहली बार किसी विपक्ष द्वारा अक्षम्य कृत्य करने पर ग़ुस्सा नही, दर्द हो रहा है । केरल कांग्रेस ने केमरा के सामने गाय काटी । इस गुस्से को बेहद गुस्से में लिखा है । दोगले धर्मनिरपेक्ष दूर रहे ।

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शर्म, हया और देश धर्म, सब कुछ खूँटी पर टाँग गया ।
आज विपक्ष मर्यादा की,,,, सब सीमाएँ लाँघ गया ।

इतना पापी,, दुष्ट,, धूर्त कोई गंदा भी हो सकता है ?
क्या कोई ‘व्यक्ति-विरोध’ में इतना अंधा भी हो सकता है ?

मत समझो गाय काटकर, तुमने विजय यात्रा रोकी है ।
कांग्रेसी ताबूत में तुमने,,,, कील आख़िरी ठोकी है ।

अय्याशी की पैदाइश हो, इस धरती पर पाप हो तुम ।
कुर्सी खातिर ‘माँ’ काटी है, मुगलो के भी बाप हो तुम ।

वैश्यावृति बंद हुई तो,,,, कैसे विरोध जताओगे ?
बेटी-बहन को लेकर क्या तुम सड़कों पर आ जाओगे ?

जो घड़ा पाप का भरा हुआ था, तुमने स्वयं ही फोड़ दिया ।
औरंगजेब और बाबर, ग़जनी सबको पीछे छोड़ दिया ।

देश विरोधी बने हुए हो, कुछ भी ना सोचा तुमने ।
सावरकर के चित्रों को,,,, दीवारों से नौंचा तुमने ।

लहू उबाले मार मारकर,, उस दिन मेरा खौला था ।
जिस दिन "भगवा आतंकी" संसद में तुमने बोला था ।

शाप लगेगा गौ माता का,,, देश तुम्हें धिक्कारेगा ।
मुरली वाला कृष्ण तुम्हें तड़पा-तड़पाकर मारेगा ।

दो साल के बाद ये जनता सड़कों पर आ जाएगी ।
अबकी बार तुम्हारी चालीस सीटें भी खा जाएगी ।

— अमित शर्मा (गाँव-सैनी, ग्रेटर नोएडा)

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