श्री राम ने निभाया मित्र धर्म, किया बाली वध

श्री धार्मिक रामलीला ग्रेटर नोएडा सेक्टर पाई 1 में श्री सुशील गोश्वामी जी के कुशल निर्देशन में हनुमान जन्म, सुग्रीव मित्रता व बाली वध लीला का मंच किया गया। इस दौरान विजय पाल सिंह तोमर राज्यसभा सांसद, विजय भाटी भाजपा अध्यक्ष, खादी ग्राम उद्योग चेयरमैन डॉक्टर यशवीर सिंह पूर्व चेयरमैन मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्तिथ रहे। सभी मुख्य अतिथियों का स्वागत कमेटी के सदस्यों द्वारा गले में पटका पहनाकर व स्मृति चिन्ह भेंट करके किया गया।

राज्यसभा सांसद विजय पाल सिंह तोमर ने कहा कि रामलीला का मंच इतने भव्य तरीक़े से सजाया हुआ है कि इसकी जितनी तारीफ़ करो उतनी कम है। आज के समय मे हमारे समाज में न जाने कितने रावण पैदा हो रहे हैं उनका संहार होना ज़रूरी है। आज की सीता भी सुरक्षित नहीं है। रोज़ पैदा हो रहे इन रावणों का विनाश समाज की भलाई के लिए अति आवश्यक है।अध्यक्ष आनन्द भाटी ने बताया कि लीला में भगवान बजरंग बली की दिव्य झांकी का आयोजन किया गया। इसके बाद लीला में दिखाया गया कि माता सीता की खोज में श्रीराम व लक्ष्मण की वनों में भटकने के दौरान हनुमान जी से मुलाकात होती है। भगवान श्रीराम हनुमान जी को सारी घटना से अवगत कराते हैं जिसके बाद हनुमान जी दोनों भाईयों को अपने कंधों पर बैठाकर सुग्रीव के पास ले जाते हैं, जहां उनमें मित्रता हो जाती है, सुग्रीव श्रीराम को अपने भाई बाली के बारे में बताते हुए कहता है कि बाली ने उसकी पत्नी को जबरन अपने पास रखा हुआ है जिसके बाद श्रीराम सुग्रीव का राज्याभिषेक करते हैं तथा सुग्रीव को बाली से युद्ध करने के लिए भेजते हैं। दोनों भाईयों में जमकर युद्ध होता है जिसके बाद श्रीराम बाली का वध कर देते हैं। मरते समय बाली अपने पुत्र अंगद को श्रीराम के सुपुर्द कर प्राण त्याग देते हैं।
देवराज इंद्र का पुत्र और किष्किंधा का राजा बाली जिससे भी लड़ता था लड़ने वाला कितना ही शक्तिशाली हो उसकी आधी शक्ति बाली में समा जाती थी।

उन्होंने बताया कि बाली ने अपनी इस अद्भुत शक्ति के बल पर हजार हाथियों का बल रखने वाले दुंदुभि नामक असुर का वध कर दिया था।
इस स्वर्ण हार को ब्रह्मा ने मंत्रयुक्त करके यह वरदान दिया था कि इसको पहनकर बाली जब भी रणभूमि में अपने शत्रु का सामना करेगा तो उसके शत्रु की आधी शक्ति क्षीण हो जाएगी
बाली के पिता का नाम वानरश्रेष्ठ ‘ऋक्ष’ था। बाली का एक पु‍त्र था जिसका नाम अंगद था। बाली का विवाह वानर वैद्यराज सुषेण की पुत्री तारा के साथ संपन्न हुआ था। तारा एक बहुत ही सुंदर अप्सरा थी।
इस मौक़े पर श्री सुशील गोस्वामी जी महाराज, राजकुमार नागर, शेर सिंह भाटी, अध्यक्ष आनंद भाटी, बालकिशन सफीपुर, धीरेंद्र भाटी, सुशील नागर, अजय नागर, ममता तिवारी, इलम सिंह नागर समेत मंचन देखने के लिए मैदान में भारी संख्या में भीड़ उमड़ी।

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